Bilkis Bano Latest News: बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट को गुजरात सरकार का जवाब रास नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो मांगा था वो चीज तो है नहीं, जवाब भारी भरकम है। कई सारे फैसलों का जिक्र करके सरकार अपनी बात कह रही है। फिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 8 नवंबर तक टाल दिया है। मंगलवार (18 अक्टूबर) को मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो गैंगरेप में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार की प्रतिक्रिया दी। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सरकार को सभी पक्षों पर राज्य के जवाबी हलफनामे की तामील करने का निर्देश देते हुए कहा।
गुजरात सरकार ने हाल ही में 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को छूट दी थी। जिन 11 दोषियों को रिहा किया गया है उनमें जसवंत नई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं। इस मामले को लेकर माकपा नेता सुभासिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार और फिल्म निर्माता रेवती लौल और पूर्व दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा ने सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 25 अगस्त को मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को याचिका पर गुजरात सरकार और 11 दोषियों से जवाब मांगा था। अपने जवाबी हलफनामे में, गुजरात सरकार ने कहा कि उसने 1992 की छूट नीति के अनुसार मामले के सभी ग्यारह दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था। क्योंकि इन दोषियों ने 14 साल से समय जेल में बिताया और इस दौरान उनका व्यवहार काफी अच्छा पाया गया था। इसमें आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी रिहाई को मंजूरी दी थी। हलफनामे से इस बात का भी पता चलता है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मामले की सुनवाई करने वाली निचली अदालत ने ग्यारह को रिहा करने के गुजरात सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया था।
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था हलफनामा
गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। राज्य सरकार ने इस हलफनामे में कहा गया था कि इन लोगों का व्यवहार अच्छा पाया गया, इसलिए इन्हें रिहा किया गया। यह सभी लोग गोधरा के उप कारागार में बंद थे। इन दोषियों की रिहाई राज्य सरकार की क्षमा नीति के तहत हुई है। गुजरात सरकार ने कहा कि इस मामले में तीसरी पार्टी केस दायर नहीं कर सकती है। इससे सुभाषिणी अली का कोई वास्ता नहीं है। दायर की गई याचिका एक साजिश और राजनीति का हिस्सा है।