सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी गठबंधन के नाम को लेकर दायर एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पहले यह चुनाव आयोग जाना चाहिए। 26 दलों के विपक्षी गठबंधन ने हाल ही में अपना नाम यूपीए की जगह आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों की हम सीधे सुनवाई नहीं कर सकते हैं। इस पर और अधिक जानकारी की जरूरत है। उसको आने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट में वकील रोहित खेरीवाल यह याचिका दाखिल की थी। मामले पर जस्टिस किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई की।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी दाखिल किया गया है याचिका

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन पार्टियों द्वारा संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A (Indian National Developmental Inclusive Alliance) के उपयोग के खिलाफ एक जनहित याचिका (PIL) में केंद्र, भारत के चुनाव आयोग (ECI) और 26 विपक्षी दलों के गठबंधन से जवाब मांगा था। जनहित याचिका में तर्क दिया गया था कि संक्षिप्त नाम का उपयोग प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 के प्रावधानों का उल्लंघन है।

मामला क्या है?

सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश भारद्वाज ने “I.N.D.I.A” नाम का उपयोग कर गठबंधन के गठन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में पार्टियों को संक्षिप्त नाम का उपयोग करने से रोकने और केंद्र और चुनाव आयोग को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

भारद्वाज का कहना है कि वह गठबंधन में शामिल 26 दलों के खिलाफ चुनाव आयोग की निष्क्रियता से दुखी हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने “बहुत चालाकी से देश का नाम “घसीटकर” गठबंधन का नाम बना लिया है। वह यह दिखाने की कोशिश की है कि “एनडीए/बीजेपी सरकार राष्ट्र यानी I.N.D.I.A के साथ संघर्ष में है।”

याचिका के अनुसार, इससे “आम लोगों के मन में भ्रम पैदा हो गया कि 2024 का आम चुनाव” “राजनीतिक दलों के बीच, गठबंधन या हमारे देश के बीच” लड़ा जाएगा। भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने 19 जुलाई को ईसीआई को एक पत्र भेजा था, लेकिन पैनल ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह संक्षिप्त नाम “राजनीतिक घृणा” और अंततः “राजनीतिक हिंसा” को जन्म दे सकता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि याचिका में कहा गया है कि गठबंधन का नामकरण I.N.D.I.A. प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 की धारा 2 और 3 के तहत वर्जित है।