Tamil Nadu Government: तमिलनाडु सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 10 कानूनों को अधिसूचित कर दिया। इन्हें पहले राज्यपाल ने रोक दिया था। यह कानून उनकी सहमति के बिना ही प्रभावी हो गए। 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि का 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने का फैसला अवैध और गलत था, जबकि राज्य विधानसभा ने उन पर पुनर्विचार कर लिया था। कोर्ट ने राज्यपालों के लिए उनके सामने पेश विधेयकों पर फैसला लेने के लिए समयसीमा भी तय की थी।

पिछले साल राज्यपाल ने विधेयकों को मंजूरी देने में देरी की थी और रोक लगाई थी। इनको तमिलनाडु की विधानसभा ने फिर से पारित किया था। इन्हें राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें पारित मान लिया गया। सरकारी राजपत्र के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया सरकार का यह कदम, केंद्र-राज्य संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है व संघीय ढांचे में शक्ति संतुलन को फिर से परिभाषित करता है।

कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल का दखल खत्म

इसे ऐतिहासिक घटनाक्रम बताते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि डीएमके का मतलब इतिहास बनाना है। इन अधिनियमों में से एक तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम 2020 है। इसके तहत विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डॉ. जे. जयललिता मत्स्य विश्वविद्यालय कर दिया है। इसके अलावा राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्यपाल का दखल खत्म हो जाएगा। इससे उम्मीदवारों को सूचीबद्ध करने और उनकी शैक्षणिक योग्यता और अनुभव तय करने की शक्ति सरकार को मिल गई है। इतना ही नहीं अब राज्य के सीएम यूनिवर्सिटी के कुलपति होंगे।

राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट में डीएमके के वकील पी विल्सन ने कहा कि इतिहास रचा गया है क्योंकि ये भारत में किसी भी विधानमंडल के पहले अधिनियम हैं जो राज्यपाल-राष्ट्रपति के साइन के बिना बल्कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बल पर प्रभावी हुए हैं। हमारे विश्वविद्यालयों को अब सरकार के कुलपतित्व के तहत स्वच्छ बनाया जाएगा और एक नए स्तर पर ले जाया जाएगा। मामले के जानकार अधिकारियों के मुताबिक, डॉ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और तमिल यूनिवर्सिटी समेत विश्वविद्यालयों में संशोधनों के तहत गवर्नर और चांसलर शब्दों की जगह सरकार शब्द का इस्तेमाल किया गया है। राज्य के पास अब कुलपतियों को उनके पदों से हटाने का अधिकार भी होगा।