Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के वकीलों की तरफ से शीर्ष अदालत में महिला जजों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी पर सवाल उठाने पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने वकील को कोर्ट की गरिमा बनाए रखने की चेतावनी दी। बेंच ने कहा कि बहुत हो गया। कोर्ट के साथ खिलवाड़ मत कीजिए।

दरअसल यह पूरा मामला दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में महिला वकीलों के लिए 33 फीसदी रिजर्वेशन की मांग से जुड़ा हुआ था। डीएचसीबीए की ओर से वरिष्ठ वकील मीनाक्षी लेखी ने दलील दी कि दिल्ली हाई कोर्ट बार में केवल 22 फीसदी महिला वकील हैं और वे डीएचसीबीए की कार्यकारी समिति में 33 फीसदी से ज्यादा रिजर्वेशन की मांग कर रहे हैं और बार अपने आप 20 फीसदी का चुनाव कर रहा है। यह भानुमती का पिटारा खोलने जा रहा है क्योंकि वकील खुद बेंच से सवाल कर रहे हैं कि हमारे पास कितनी महिला जज हैं।

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जस्टिस सूर्यकांत ने लगाई फटकार

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, अगर आपको ये सब बातें कहकर दर्शकों को खुश करना है , तो कृप्या ऐसा करें कि इसे 10 बार कहें। आप आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। बार इस तरह आचरण नहीं करता। इसके बाद बेंच ने कहा कि हम कुछ भी नहीं सुनेंगे। अब हम इस मामले के बड़े मुद्दे पर विचार करेंगे और इस मुद्दे पर फैसला लेंगे। पीठ ने आखिरी बहस के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की और कहा कि इसके बाद तीन दिन में इस मुद्दे पर फैसला सुनाया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कोर्ट की गरिमा को प्रभावित करने वाले बयानों से बचने की सलाह दी। इस मामले ने यह साफ कर दिया कि न्यायपालिका को चुनौती देने वाली किसी भी कोशिश को गंभीरता से लिया जाएगा। वहीं इस साल की शुरुआत में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने एक वकील को सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान बार-बार यस की जगह या-या शब्द का इस्तेमाल करने के लिए फटकार लगाई थी। कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए जज ने वकील से कहा कि उन् यस शब्द से एलर्जी है।