Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत की 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने विधेयकों की मंजूरी से जुड़ी राष्ट्रपति के 14 रेफरेंस पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। इस बेंच की अध्यक्षता CJI बीआर गवई कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई अगस्त के बीच में होगी।
सुप्रीम कोर्ट की इस संवैधानिक बेंच में सीजेआई बीआर गव जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस संवैधानिक बेंच की अहमियत इसलीए भी ज्यादा है क्योंकि इसमें तीन सबसे वरिष्ठ जज है। इसके अलावा अन्य सभी चार जज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी हो सकते हैं।
राष्ट्रपति ने क्यों दिया था रेफरेंस
दरअसल, चीफ जस्टिस ने कहा है कि इस केस की समयसीमा पर विचार मंगलवार को किया जाएगा। इसके बाद अगली सुनवाई अगस्त के बीच में की जाएगी। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट का रेफरेंस उस समय आया था, जब सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले को लेकर एक अहम फैसला किया था। उस फैसले में कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चितकाल तक के लिए रोककर नहीं रख सकते हैं।
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क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था कि राज्यपाल को तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। अगर राज्यपाल बिल को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं, तो राष्ट्रपति को भी तीन महीने के अंदर फैसला देना होगा। इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर समयसीमा का उल्लंघन होता है, तो राज्य सरकार कोर्ट से रिट ऑफ मैनडेमस की मांग कर सकती है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु की याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये माना था कि जिन 10 विधेयकों को राज्यपाल ने एक साल से ज्यादा समय तक रोके रखा, उन्हें अब डीन असेंट मिल चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में पर राष्ट्रपति द्वारा मांगे गए विचार पर सुनवाई कर रही है।
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