सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 फरवरी को एक बयान जारी कर कहा है कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडिशनल जज श्री जस्टिस राहुल चतुर्वेदी को हाईकोर्ट का परमानेंट जज नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देती है। हालांकि कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दूसरे एडिशनल जज जस्टिस इरशाद अली पर चुप्पी साधी हुई है, जबकि उन्हें भी पदोन्नति देने के लिए बीते साल सितंबर में सिफारिश की गई थी।
गौरतलब है कि जस्टिस इरशाद अली का कार्यकाल आगामी 21 मार्च को खत्म हो रहा है। जस्टिस इरशाद अली उन तीन जजों में शामिल थे, जिन्हें जस्टिस राहुल चतुर्वेदी, जस्टिस नीरज तिवारी के साथ एक ही दिन यानि कि 22 सितंबर, 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था।
5 सितंबर, 2019 को तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एनवी रामन्ना की कॉलेजियम ने सिफारिश की थी कि जस्टिस तिवारी और जस्टिस अली को इलाहाबाद हाईकोर्ट का परमानेंट जज नियुक्त करने की थी। वहीं जस्टिस राहुल चतुर्वेदी को 22 सितंबर, 2019 से अगले 6 माह के लिए एडिश्नल जज नियुक्त किया गया था।
इसके बाद 20 सितंबर 2019 को केन्द्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर जस्टिस नीरज तिवारी को कॉलेजियम की सिफारिश पर परमानेंट जज बनाने की पुष्टि कर दी थी। उसी दिन सरकार ने एक दूसरे नोटिफिकेशन में जस्टिस इरशाद अली और जस्टिस राहुल चतुर्वेदी को अगले 6 माह के लिए एडिश्नल जज बनाए जाने का ऐलान किया था। इस तरह सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को दरकिनार कर जस्टिस अली को परमानेंट जज नहीं बनाया।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 5 सितंबर को एक बयान जारी कर कहा था कि उसने इलाहाबाद होईकोर्ट के एडिश्नल जजों जस्टिस राहुल चतुर्वेदी, जस्टिस नीरज तिवारी और जस्टिस इरशाद अली तीनों को ही परमानेंट जज बनाने का फैसला किया था। हालांकि एक जज के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद दो जजों को ही परमानेंट जज बनाने का फैसला किया गया, जबकि जस्टिस राहुल चतुर्वेदी के बतौर एडिश्नल जज के कार्यकाल को 6 माह बढ़ाने की सिफारिश की गई थी।
वहीं जस्टिस इरशाद अली को कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद परमानेंट जज नहीं बनाए जाने पर अभी तक सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।