भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने खुद को स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) के खिलाफ कोर्ट की अवमानना से जुड़े एक मामले से अलग कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कुणाल कामरा के खिलाफ चार मामले लंबित हैं। ये चारों ही मामले सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों के खिलाफ कुणाल कामरा द्वारा की गई टिप्पणियों को लेकर हैं।

कुणाल कामरा के खिलाफ एक मामला उनके उस ट्वीट को लेकर है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और CJI चंद्रचूड़ को लेकर टिप्पणी की थी। कुणाल कामरा ने यह ट्वीट नवंबर 2020 में कोर्ट द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर अरनब गोस्वामी (Arnab Goswami) को जमानत दिए जाने के बाद किया था। CJI चंद्रचूड़ ही उस बेंच को हेड कर रहे थे जिसने अरनब गोस्वामी को जमानत दी थी, इसी वजह से उन्होंने खुद को सुनवाई से दूर कर लिया।

कुणाल कामरा ने अपने ट्वीट्स में क्या कहा

  • (CJI)डी वाई चंद्रचूड़ एक फ्लाइट अटेंडेंट हैं जो प्रथम श्रेणी के यात्रियों को तेजी से ट्रैक किए जाने के बाद शैंपेन परोसते हैं, जबकि आम लोगों को यह नहीं पता होता है कि क्या वे कभी सवार होंगे या बैठे होंगे, सेवा करना तो दूर की बात है।
    *न्याय*
  • रीढ़ की हड्डी वाले सभी वकीलों को सुप्रीम कोर्ट या उसके जजों का जिक्र करते समय “माननीय” शब्द का उपयोग बंद करना चाहिए। ‘ऑनर’ बिल्डिंग को बहुत पहले ही छोड़ चुका है…”

कुणाल कामरा के इन ट्विट्स के बाद अटॉर्नी-जनरल को कुल 10 पत्र मिले थे, जिनमें स्टैंड अप कॉमेडियन के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू करने की इजाजत मांगी गई थी। इन शिकायतों में लॉ स्टूडेंट्स के पत्र भी शामिल थे। इसके बाद 12 नवंबर 2020 को अटॉर्नी-जनरल केके वेणुगोपाल ने कुणाल कामरा के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के मामले में सुनवाई शुरू करने की इजाजत दे दी थी।

कोर्ट की अवमानना को लेकर क्या कहता है कानून?

न्यायालयों की अवमानना अधिनियम, 1971 के अनुसार, एक निजी व्यक्ति अटॉर्नी-जनरल या सॉलिसिटर जनरल की इजाजत के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना से संबंधित याचिका दायर कर सकता है। हाई कोर्ट में भी अवमानना ​​याचिका दायर करते समय इसी तरह की सहमति राज्य के संबंधित महाधिवक्ता से लेनी पड़ती है।

इस ट्वीट पर भी मचा विवाद