भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में भारत के संविधान पर अपनी राय रखी है। सीजेआई ने गुरुवार को कहा कि भारत का संविधान प्रासंगिक बना हुआ है क्योंकि यह बदलती जरूरतों के प्रति संवेदनशील है।
एम के नांबियार मेमोरियल में लेक्चर देते हुए सीजेआई ने कहा, “एक जीवित दस्तावेज के रूप में संविधान की समझ संवैधानिक अदालतों को नई समस्याओं को समझने में सहायता करती है। यह अदालत को मौजूदा सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए न्यायिक आधार खोजने में भी सुविधा प्रदान करता है।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत के उलट अमेरिका मूलवाद पर चलता है जो मानता है कि संविधान का अर्थ तय है और इसे अपनाने के समय इसकी मूल समझ के आधार पर इसकी व्याख्या की जानी चाहिए और उसे प्रमुखता दी जानी चाहिए। सीजेआई ने कहा कि इस तरह संविधान का कठोरता से पालन, हालांकि देखने में आकर्षक है लेकिन यह अक्सर नागरिकों के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाता है।
संविधान लचीला होना चाहिए
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ”कोई भी दो पीढ़ियां संविधान को एक ही सामाजिक, कानूनी या आर्थिक संदर्भ में नहीं पढ़ती हैं। जैसे-जैसे समाज विकसित होता है, वैसे-वैसे संवैधानिक सिद्धांत भी विकसित होना चाहिए। संविधान ने जिन संस्थानों का निर्माण किया है, उन्हें तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीले ढंग से बदलना चाहिए।
CJI ने कहा कि संविधान का मतलब कभी भी सामाजिक और कानूनी संबंधों को नियंत्रित करने वाले कठोर नियमों का समूह नहीं था। इसका मतलब सिद्धांतों का एक व्यापक ढांचा था जो हमारी नई राजनीतिक वास्तविकता का आधार बनेगा।
सबरीमाला मंदिर पर क्या बोले CJI चंद्रचूड़
इसी कार्यक्रम में डीवाई चंद्रचूड़ ने सबरीमाला मंदिर मामले में दिए गए अपने फैसले को सही ठहराया। सीजेआई ने अपने फैसले के बचाव में कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को प्रवेश करने से रोकना भारतीय संविधान के आर्टिकल 17 के तहत प्रतिबंधित किए गए छुआछूत के अंतर्गत आता है।
गौरतलब है कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि किसी भी उम्र की महिलाएं केरल के सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में जा सकती हैं। यह फैसला सुनाने वाली कॉन्स्टीट्यूशन बेंच में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थीं।
(इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस)