चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ अगले महीने रिटायर होने वाले हैं। उससे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने रिटायरमेंट के बारे में बात की है। अपने कार्यकाल के अंत के करीब पहुंचते हुए उन्होंने उन सवालों को स्वीकार किया जिनसे वे जूझ रहे हैं, जिनमें उनकी विरासत के बारे में विचार और इतिहास उनके योगदान का किस प्रकार मूल्यांकन करेगा, शामिल हैं।
गौरतलब है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पदभार संभाला था और 10 नवंबर 2024 को वह इस पद से रिटायर होंगे।
मंगलवार शाम भूटान में जेएसडब्ल्यू स्कूल ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में अपने भावपूर्ण संबोधन में सीजेआई ने कहा, “पिछले दो सालों से मैं हर सुबह अपने काम को पूरी तरह से करने की प्रतिबद्धता के साथ जागता था और इस संतुष्टि के साथ सोता था कि मैंने अपने देश की पूरी लगन से सेवा की है।
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, भूटान की राजकुमारी और भूटान के मुख्य न्यायाधीश सहित उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आत्म-चिंतन और व्यक्तिगत विकास के महत्व पर जोर दिया।
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क्या मैंने वह सब हासिल किया जो मैंने करने का लक्ष्य रखा था- CJI
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं दो साल तक देश की सेवा करने के बाद इस साल नवंबर में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद छोड़ दूंगा। चूंकि मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है इसलिए मेरा मन भविष्य और अतीत के बारे में आशंकाओं और चिंताओं से ग्रस्त है। मैं खुद को ऐसे सवालों पर विचार करते हुए पाता हूं, क्या मैंने वह सब हासिल किया जो मैंने करने का लक्ष्य रखा था? इतिहास मेरे कार्यकाल का कैसे आकलन करेगा? क्या मैं चीजों को अलग तरीके से कर सकता था? मैं न्यायाधीशों और कानूनी पेशेवरों की भावी पीढ़ियों के लिए क्या विरासत छोड़ूंगा?”
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इनमें से अधिकांश प्रश्नों के उत्तर उनके नियंत्रण से बाहर हैं और उनकी संतुष्टि इस बात में है कि उन्होंने अत्यंत समर्पण के साथ अपने देश की सेवा की।
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कुछ सवालों के जवाब मुझे कभी नहीं मिलेंगे- डीवाई चंद्रचूड़
सीजेआई ने कहा, “इनमें से अधिकांश सवालों के जवाब मेरे नियंत्रण से बाहर हैं और शायद, मुझे इनमें से कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिलेंगे। हालांकि, मुझे पता है कि पिछले दो सालों में, मैं हर सुबह अपने काम को पूरी तरह से देने की प्रतिबद्धता के साथ जागता हूं और इस संतुष्टि के साथ सोता हूं कि मैंने अपने देश की पूरी लगन से सेवा की है। यही वह जगह है, जहां मैं सांत्वना ढूंढता हूं।”
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बार जब आपको अपने इरादों और क्षमताओं पर विश्वास की यह भावना हो जाती है तो परिणामों के प्रति जुनूनी न होना आसान हो जाता है। आप इन परिणामों की ओर प्रक्रिया और यात्रा को महत्व देना शुरू कर देते हैं।