सुप्रीम कोर्ट ने आज निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं हो सकते। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाली प्रत्येक निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39 (B) के तहत ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ नहीं माना जा सकता है।
संविधान पीठ ने तीन भागों वाले फैसले में कहा, “कुछ निजी संपत्ति ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ हो सकती है लेकिन किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाली हर संपत्ति को समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं कहा जा सकता।”
फैसला सुनाने वाली 9 जजों की पीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, सुधांशु धूलिया, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। सीजेआई ने मंगलवार को कहा, “तीन फैसले हैं, एक मेरे द्वारा और 6 अन्य लोगों के लिए। दूसरा जस्टिस नागरत्ना द्वारा, जो आंशिक रूप से सहमत हैं और तीसरा जस्टिस सुधांशु धूलिया द्वारा, जिन्होंने असहमति जताई है।”
1 मई को SC की पीठ ने की थी सुनवाई
इससे पहले इस मामले में पीठ ने 1 मई 2024 को सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि किसी व्यक्ति की हर प्राइवेट प्रॉपर्टी को समुदाय के भौतिक संसाधन के हिस्से के रूप में मानना दूर की बात होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे निवेशक भी डर जाएंगे।
अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि विभिन्न संविधान पीठों द्वारा दिए गए 16 फैसलों में लगातार मैटेरियल रिसोर्स की व्याख्या प्राइवेट प्रॉपर्टी और प्राइवेट रिसोर्स को शामिल करने के लिए की गई है।
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मामले में जजों की थी दो राय
यह संदर्भ कर्नाटक राज्य और अन्य बनाम श्री रंगनाथ रेड्डी और अन्य के मामले में 1978 के फैसले में न्यायाधीशों द्वारा दिए गए दो विचारों के संदर्भ में आया । यह मामला सड़क परिवहन सेवाओं के राष्ट्रीयकरण से संबंधित था। जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर की राय यह थी कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में प्राकृतिक और मानव निर्मित, सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाले दोनों तरह के संसाधन शामिल होंगे। हालांकि, जस्टिस एनएल उंटवालिया द्वारा लिखे गए दूसरे फैसले में कहा गया कि अधिकांश न्यायाधीश न्यायमूर्ति अय्यर द्वारा आर्टिकल 39(B) के संबंध में लिए गए दृष्टिकोण से सहमत नहीं थे।
राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) में आर्टिकल 39 (B) में कहा गया है कि राज्य, विशेष रूप से, अपनी नीति को इस तरह से बनाएगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित किया जाए कि वह सार्वजनिक हित के लिए सबसे अच्छा हो।