सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने PFI के 8 सदस्यों की जमानत रद्द कर दी है। मद्रास हाई कोर्ट से इन आरोपियों को बेल मिली थी और इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन सदस्यों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सजा के तौर पर जेल में बताए गए डेढ़ साल को देखते हुए हम जमानत देने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप कर रहे हैं। अदालत के आदेशों में हम हस्तक्षेप कर सकते हैं, अगर उनका आधार गलत है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीएफआई सदस्यों पर देश के खिलाफ षडयंत्र रचने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। उन्हें अधिकतम सजा दी गई है लेकिन केवल उन्होंने डेढ़ वर्ष जेल में बिताए हैं। इस कारण हम हाईकोर्ट के जमानत वाले फैसले में दखल दे रहे हैं।

आरोपियों की ओर से व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दिया गया तर्क

आरोपियों की ओर से तर्क दिया गया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोच्च है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मामले में ट्रायल में तेजी लाए जाने का भी निर्देश दिया है। आठ आरोपियों के नाम बरकतुल्ला, इदरीस, मोहम्मद अबुथाहिर, खालिद मोहम्मद, सैयद इशाक, खाजा मोहिदीन, यासर अराफात और फैयाज अहमद है। सभी को केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों में धन इकट्ठा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

जानिए क्या कहा था मद्रास हाई कोर्ट ने?

अक्टूबर 2023 में मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस एसएस सुंदर की डबल बेंच ने आरोपियों को जमानत दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, “अभियोजन इस अदालत के सामने आरोपियों में से किसी एक के आतंकवादी कृत्य में शामिल होने या आतंकवादी गिरोह या संगठन के सदस्य के बारे में कोई भी सबूत पेश करने में असमर्थ रहा है।”