सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को रात 9 बजकर 10 मिनट तक सुनवाई हुई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की बेंच ने दशहरा की छुट्टी पर जाने से एक दिन पहले देर तक सुनवाई करके कई केसों का निपटारा किया। पीठ के समक्ष लगभग 75 मामले लिस्टेड थे। आम तौर पर अदालत शाम 4 बजे तक उठ जाती है।

हालांकि इतनी देर तक काम करने को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सामान्य बताते हुए कहा कि देश के अंदर कई लोग ऐसे हैं, जो15-16 घंटे रोजाना काम करते हैं। करण गुरानी@karangurani नाम के एक यूजर ने ट्वीट करके कहा, “दशहरे की छुट्टी! मैंने भारत में मौजूद ऐसी किसी छुट्टी के बारे में कभी नहीं सुना। माननीय न्यायाधीशों, कृपया ऐसी छुट्टियां बंद करें और बैकलॉग मामलों को निपटाने पर ध्यान दें।”

एपी@Apandit05 नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा, “जिस देश में एक सरकारी अधिकारी 8 से 10 घंटे तथा एक प्राइवेट कंपनी अधिकारी 10 से12 घंटे कही कही 14 घंटे हफ्ते में 5 से 6 दिन (छुट्टियां साल में गिनी हुई) काम कर रहे हो उस देश में जज महोदय को अपने काम नहीं गिनाने चाहिए इससे काम करने वालो का मनोबल गिरता है।”

सीजेआई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने तीन जजों को हाईकोर्ट के सीजे बनाने की सिफारिश की

उधर, भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के तीन न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जसवंत सिंह, न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति अली मोहम्मद मगरे को क्रमश: उड़ीसा, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों (सीजे) के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस. मुरलीधर और जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल का तबादला कर उन्हें क्रमशः मद्रास उच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की अनुशंसा की है।

कॉलेजियम में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल भी शामिल रहे

कॉलेजियम में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल भी शामिल हैं। इनके अलावा, कॉलेजियम ने 30 सितंबर को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संबंध में अपने अलग-अलग बयान अपलोड किए हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 28 सितंबर, 2022 को अपनी बैठक में, उल्लेखित न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की है।’’