सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले में उत्तर प्रदेश के SIT जांच की निगरानी के लिए बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया। लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई इस हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए IPS अधिकारियों के नामों पर भी गौर किया और जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में तीन IPS अधिकारियों को शामिल किया।
चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में विस्तृत आदेश बाद में पारित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष जांच दल के जांच पूरी करने और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के बाद वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर फिर सुनवाई करेगा। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की एसआईटी जांच की निगरानी, सुप्रीम कोर्ट की पसंद से नियुक्त एक पूर्व जज से कराने के उसके सुझाव पर 15 नवंबर को सहमति जताई थी।
कौन हैं राकेश जैन: जस्टिस राकेश जैन ने मई 1982 में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा में एक वकील के रूप में नामांकन किया। उन्होंने हिसार की जिला अदालत में अपनी कानूनी प्रैक्टिस की शुरुआत की थी। 5 दिसंबर, 2007 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 30 सितंबर, 2020 को जस्टिस जैन रिटायर हुए थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आठ नवंबर को मामले पर जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जताते हुए सुझाव दिया था कि जांच में “स्वतंत्रत और निष्पक्षता” लाने के लिए, एक “अलग उच्च न्यायालय” के एक पूर्व न्यायाधीश को दिन-प्रतिदिन आधार पर इसकी निगरानी की जानी चाहिए।
पहले हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एन वी रमण, की बेंच ने SIT जांच में छोटी रैंक के पुलिस अधिकारियों के शामिल होने के मुद्दे को भी उठाया था और उत्तर प्रदेश काडर के उन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों के नाम भी मांगे थे जो राज्य के मूल निवासी नहीं हों।