सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली पुलिस को विचाराधीन कैदियों, हथियारों और कारतूसों की आवाजाही के लिए वाहनों को रजिस्टर कराने की अनुमति दे दी। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को पानी की आपूर्ति के लिए उनके 2000 सीसी या इससे अधिक की इंजन क्षमता वाले नये डीजल संचालित वाहनों को रजिस्टर कराने की भी अनुमति दे दी। हालांकि प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली पुलिस से उसके द्वारा खरीदे गये वाहन के वास्तविक मूल्य का 30 प्रतिशत परिवहन विभाग के साथ उनके पंजीकरण के लिए पूर्व-शर्त के रूप में पर्यावरण मुआवजा शुल्क या हरित उपकर के तौर पर अदा करने को कहा।

पीठ में न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति आर भानुमति भी शामिल हैं। उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड को इस आधार पर ईसीसी अदा करने से छूट दे दी कि शहर के नागरिकों को करीब 250 पानी के टैंकर पानी की आपूर्ति करेंगे। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि डीजेबी ने 270 पानी के टैंकरों को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया है क्योंकि वे 10 साल पुराने थे और 250 नये टैंकरों को परिवहन प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा। उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के एक आदेश में बदलाव की मांग की जिसके माध्यम से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2000 सीसी या इससे अधिक इंजन क्षमता वाले सभी डीजल चालित वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगा दी गई थी।

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