सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट्स में पेंडिंग मामलों के निस्तारण के लिए अस्थायी जजों को नियुक्त करने की अनुमति दी है। उच्चतम न्ययालय ने 18 लाख से अधिक आपराधिक मामलों के पेंडिंग रहने पर गौर करते हुए गुरुवार को उच्च न्यायालयों को अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुमति दे दी। अस्थायी जजों की यह संख्या अदालत की कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

CJI संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ ने उच्च न्यायालयों में अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा 20 अप्रैल 2021 को दिए गए फैसले में लगाई गई कुछ शर्तों में ढील दी। पूर्व सीजेआई एस ए बोबडे द्वारा लिखे गए फैसले में निर्देश दिया गया था कि पेंडिंग मामलों के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जजों को दो से तीन साल की अवधि के लिए अस्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।

हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की होगी अस्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति

शर्त में कहा गया था कि अगर हाई कोर्ट अपनी स्वीकृत संख्या के 80 प्रतिशत के साथ काम करता है तो अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा सकती, जबकि दूसरी शर्त में कहा गया था कि अस्थायी न्यायाधीश मामलों के निस्तारण के लिए अलग से पीठ में बैठ सकते हैं। शर्तों में ढील देते हुए, सीजेआई खन्ना ने कहा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय को दो से पांच अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी चाहिए और यह संख्या कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

‘अफेयर के बाद भी पति होगा बच्चे का पिता’, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी बायोलॉजिकल पिता की पहचान के लिए DNA टेस्ट की मांग

अस्थायी जज पेंडिंग आपराधिक अपीलों पर फैसला लेंगे

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘‘अस्थायी जज हाई कोर्ट के वर्तमान जज की अध्यक्षता वाली पीठ में बैठेंगे और पेंडिंग आपराधिक अपीलों पर फैसला लेंगे।’’ शीर्ष अदालत ने न्यायाधीशों के लिए अलग से पीठों में बैठने की शर्त को भी स्थगित रखा और कहा कि वे उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का हिस्सा होंगे।

न्यायालय ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस मुद्दे पर आगे फिर से निर्देश जारी करेगा। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में 62 लाख से अधिक मामले पेंडिंग हैं और उनमें से 18 लाख से अधिक आपराधिक प्रकृति के हैं। शीर्ष अदालत ने नियुक्तियों को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश भी निर्धारित किए हैं। पढ़ें- ‘भारी जुर्माना लगाएंगे’, केंद्र सरकार पर बिफरा सुप्रीम कोर्ट

(इनपुट-भाषा)