पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुए दंगों को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। जिसके बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि टीएमसी सरकार की हिंदू विरोधी क्रूरता अपने पूरे वीभत्स रूप में सामने आ गई है। दरअसल वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में बीते अप्रैल में हिंसा हुई थी। जिसमें 3 लोगों की जान चली गई थी।

रिपोर्ट के आने के बाद त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें तीन सदस्य थे। उन्होंने 11 अप्रैल 2025 को हुई घटनाओं पर रिपोर्ट दिया है, जिससे टीएमसी, इंडिया गठबंधन और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के स्वयं नायकों का मुखौटा पूरी तरह उतर गया है।

हाईकोर्ट की रिपोर्ट में पूरी सच्चाई आई सामने – त्रिवेदी

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “इस समय देश में जिस तरह से एक खास तरह की राजनीति चल रही है, उससे ऐसा लगता है कि कुछ लोग देश की आंतरिक सुरक्षा और ढांचे को नष्ट करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आती हैं। ऐसी स्थिति कई बार पश्चिम बंगाल में देखा जा चुका है। आज कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार की हिंदू विरोधी क्रूरता अपने पूरे वीभत्स रूप में सामने आ गई है।”

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आगे त्रिवेदी ने कहा ”पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की एसआईटी रिपोर्ट के बाद टीएमसी सरकार के तहत किए गए हिंदू विरोधी अत्याचार स्पष्ट रूप से सामने आ गए हैं। न्यायालय के आदेश पर इस एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें तीन सदस्य थे। इनमें से एक मानवाधिकार अधिकारी और दो पश्चिम बंगाल की न्यायिक सेवा से थे। उन्होंने 11 अप्रैल 2025 को हुई घटनाओं पर रिपोर्ट दिया है, जिससे टीएमसी, इंडिया गठबंधन और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के स्वयं नायकों का मुखौटा पूरी तरह उतर गया है। “पाकिस्तान के साथ युद्ध क्यों?” सवाल करने वालों ने मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के खिलाफ किए गए अत्याचारों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है। पिता और पुत्र – हरगोविंद दास और चंदन दास की क्रूर हत्या के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा गया है। फिर भी, इन्हीं लोगों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।”

हिंसा के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के रजिस्ट्रार (कानून) जोगिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण (WBLSA) के सदस्य सचिव सत्य अर्णब घोषाल और पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा (WBJS) के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती शामिल थे। जांच टीम ने 17 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा के दौरान इलाके में रह रहे हिंदुओं को निशाना बनाया गया। इतना ही नहीं इस हिंसा में टीएमसी का एक नेता भी शामिल था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि बेटबोना गांव में 113 घरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया।