सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी को लेकर भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट अपनी ही सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने विकास के दावों पर कहा कि आखिर वोट के लिए किसने ‘विकास का शोषण’ किया। दरअसल हाल ही में सर्वोच्च अदालत ने प्रवासी श्रमिकों को राशन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को तौर-तरीके तैयार करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि हमारे विकास करने के बाद भी लोग भूख से मर रहे हैं।
भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट की इस टिप्पणी को लेकर एक ट्वीट में कहा कि यह सभी के लिए भयानक है, आखिर किसने वोट के खातिर “विकास” का शोषण किया। माना जा रहा है कि भाजपा पूर्व सांसद का यह ट्वीट पीएम मोदी द्वारा विकास के दावों को लेकर किया गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर इतना ही विकास हुआ है तो फिर लोग भूख से क्यों मर रहे हैं। अपने ट्वीट में एक इंग्लिश खबर की लिंक भी शेयर की है। जोकि कोर्ट की टिप्पणी पर आधारित है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने:
दरअसल 21 जुलाई को सर्वोच्च अदालत ने विकास के बाद भी लोगों के भूख के कारण मरने पर राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए तौर-तरीकों पर काम करें कि अधिक से अधिक प्रवासी श्रमिकों को राशन दिया जाए। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा था, “आखिरकार, उद्देश्य यह हो कि भारत में कोई भी नागरिक भूख से न मरे। दुर्भाग्य से हमारे विकास के बावजूद भूख के चलते मौतें हो रही हैं। देश में नागरिक की जान भूख और भोजन की कमी से हो रही है। मुझे पता है गांवों में अपना पेट कसकर बांधते हैं ताकि उन्हें भूख न लगे।”
इस खबर की लिंक शेयर करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा, “हम सभी के लिए यह भयानक है, जिन्होंने वोट के खातिर “विकास” का शोषण किया।” बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी आए दिन सुर्खियां बटोरते रहते हैं। अभी हाल ही में उन्होंने में बीसीसीआई द्वारा अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और अन्य पदाधिकारियों का कूलिंग ऑफ पीरियड बढ़ाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
बीसीसीआई के इस फैसले के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने 18 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की। इस याचिका में उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है। स्वामी ने संशोधनों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर उन्हें दलील पेश करने की मंजूरी देने की मांग की है।