देश में शैक्षिक योग्यता बढ़ने के साथ ही बेरोजगारी में भी इजाफा हो रहा है। जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब के जे. परिदा ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में देश में युवाओं के बीच बेरोजगारी के बढ़ते ट्रेंड को दिखाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 में बेराजगार युवकों की संख्या में 2004-05 की तुलना में 1 लाख की बढ़ोतरी हुई। साल 2004-05 में बेरोजगार युवकों की संख्या 89 लाख थी जो 2011-12 में आंशिक रूप से बढ़कर 90 लाख हो गई।  साल 2017-18 में बेरोजगार युवकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली। इस साल यह आंकड़ा बढ़ कर 2.5 करोड़ पहुंच गया। स्टडी में 15-20 साल आयु वर्ग को यूथ कैटेगरी में रखा गया है।

इसमें सबसे खराब स्थिति यह है कि शैक्षिक योग्यता बढ़ने के साथ ही बेरोजगारी की दर में भी इजाफा हुआ है। स्टडी में यह निष्कर्ष निकला कि सभी शैक्षणिक श्रेणियों में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, ओडिशा, गुजरात और केरल समेत अन्य राज्यों में 2.5 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हैं।

इन में सबसे अधिक 30 लाख बेरोजगार युवक उत्तर प्रदेश में हैं। वहीं आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 22-22 लाख युवा बेरोजगार हैं। बिहार में 19 लाख, पश्चिम बंगाल में 15 लाख, मध्यप्रदेश में 13 लाख, कर्नाटक और राजस्थान में 12-12 लाख युवा बेरोजगार हैं। मेहरोत्रा और परिदा की यह रिपोर्ट नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के इम्पलॉयमेंट-अनइम्प्लॉयमेंट सर्वे 2004-05 और 2011-12 के साथ ही पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे 2017-18 पर आधारित है।

मेहरोत्रा के अनुसार कृषि क्षेत्र में कुल रोजगार की संख्या में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है। कृषि क्षेत्र में साल 2011-12 के 23.2 करोड़ की तुलना में 2017-18 में रोजगार घटकर 20.5 करोड़ ही रह गया। हालांकि, सेवा क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि देखने को मिली है। सेवा क्षेत्र में रोजगार 12.7 करोड़ से बढ़कर 2017-18 में 14.4 करोड़ पहुंच गया।

रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार के घटते अवसरों और खुली बेरोजगारी से देश का युवा काफी हताश हुआ है।