भारत में डायबिटीज या मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक सर्वे में यह सामने आया है कि देश में डायबिटीज के मरीज अपने शुगर लेवल पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या 7.29 करोड़ है। इस तरह भारत डायबिटीज की वैश्विक राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है।

यहां डायबिटीज अब गरीब तबके के लोगों में भी पैर पसार रहा है। इस बीमारी को लेकर जागरुकता का काफी अभाव है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार एक नोरडिस्क एजुकेशन फाउंडेशन की तरफ से किए गए राष्ट्रीय सर्वे में सामने आया कि मई 2019 में ऑल इंडिया में HbA1c का स्तर 8.5 प्रतिशत था। जबकि इसका सामान्य स्तर 6 फीसदी माना जाता है।

महानगरों में स्थिति निराशाजनकः HbA1c एक टेस्ट है जिसके जरिये औसत ब्लड शुगर कंट्रोल लेवल का पता लगाया जाता है। देश के महानगरों मुंबई से लेकर कोलकाता और दिल्ली से लेकर चेन्नई में स्थिति और निराशाजनक है। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई जहां लोग बहुत अधिक स्ट्रेस और खराब नींद पैटर्न की शिकायत करते हैं वहां HbA1c का स्तर 8.2 था। इसके मुकाबले दिल्ली में यह स्तर 8.8 था। इससे साफ है कि मुंबई की तुलना में दिल्ली वाले अधिक स्ट्रेस का सामना कर रहे हैं।

देश के 28 शहरों में हुआ सर्वेः यह सर्वे करीब एक साल तक देश के 18 शहरों में किया गया। इस सर्वे में करीब 1.8 लाख रोगियों से जुड़ी जानकारी का विश्लेषण किया गया। डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ग्लूकोज बनाने की प्रक्रिया बाधित होती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्य या चयापचय प्रभावित होता है। इससे किडनी, आंखों के साथ ही नर्वस सिस्टम भी प्रभावित होता है।

स्टडी में दिखाया गया कि देश के 28 शहरों में पिछले एक साल में कैसे HbA1c का स्तर में बदलाव आया है। बंगलुरू में HbA1c का स्तर 8.3 से बढ़कर 8.4 तक पहुंच गया। वहीं हैदराबाद में यह कमोबेश समान (8.59 से 8.6 प्रतिशत) बना रहा। एक साल के दौरान चेन्नई (8.4 से 8.2 प्रतिशत) और कोलकाता में (8.4 से 8.1 प्रतिशत) में डायबिटीज के HbA1c का स्तर में कमी दर्ज की गई।

वहीं, मध्यप्रदेश के खांडवा में यह 8 से बढ़कर 9 प्रतिशत हो गया। इस संबंध में डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि डायबिटीज अब निम्न आय वर्ग में बढ़ रहा है। वे लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं और उन्हें यह भी नहीं पता कि इसे किस तरह से नियंत्रित किया जाए।