आईआईटी-गुवाहाटी प्रशासन ने चौथे वर्ष के पीएचडी स्कॉलर हिमांचल सिंह से 6 बिंदुओं वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर करवाया है जिसमें इस बात का जिक्र है कि वो आगे से किसी भी तरह के विरोध, प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेगें। हस्ताक्षर करने बाद ही उन्हें शोध कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की अनुमति मिलेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र सिंह ने पिछले साल 4-7 जनवरी 2020 तक एक साथी छात्र के साथ संस्थान के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था। हिमांचल सिंह अपने शिक्षक ब्रजेश राय की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध में भूख हड़ताल पर थे। जिसके बाद उन्हें एक सेमेस्टर के लिए शैक्षणिक सत्र से निलंबित कर दिया गया था। बताते चलें कि शिक्षक ब्रजेश राय द्वारा संस्थान प्रशासन के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें “संस्थान के अधिकारियों को बदनाम करने” का प्रयास करने के आरोप में 1 जनवरी, 2020 को सेवानिवृत्ति कर दिया गया था।
जिसके बाद पिछले साल 16 मार्च को, एक 10 सदस्यीय अनुशासनात्मक समिति, जिसमें नौ शिक्षक और एक छात्र प्रतिनिधि शामिल थे, ने फैसला लिया था कि सिंह को एक सेमेस्टर के लिए “शैक्षणिक सत्र से निलंबित कर दिया जाए”। हालांकि उसके तहत यह भी फैसला लिया गया था कि निलंबन तब तक लागू नहीं होगा जब तक संस्थान की तरफ से इसे लेकर कोई अगला फैसला नहीं ले लिया जाता है।
इस मामले के चार दिन बाद सिंह और अन्य छात्र कोविड -19 के परिसर से चले गए। इस साल की शुरुआत में जब आईआईटी-गुवाहाटी ने पीएचडी स्कॉलर्स के लिए संस्थान को खोल दिया तो सिंह 4 मार्च को कैंपस लौट आए। लेकिन कथित तौर पर अगले दिन ही उन्हें हॉस्टल का कमरा खाली करने के लिए कह दिया गया। 8 मार्च को, रजिस्ट्रार, प्रोफेसर एसएम सुरेश ने उन्हें एक पत्र भेजा जिसमें कहा गया कि अगर उन्होंने छह शर्तों वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो उन्हें वापस संस्थान में आने की अनुमति दे दी जाएगी।
जिसमें लिखा गया था कि मैं परिसर के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार के आंदोलन / विरोध / धरना में भाग नहीं लूंगा और न ही इसके लिए छात्रों को लामबंद करूंगा”, “मैं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी संदेश पोस्ट नहीं करूंगा जो संस्थान के शैक्षणिक माहौल के लिए हानिकारक साबित होगा,”। पत्र में “गलत जानकारी” और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने को लेकर माफी की बात भी लिखी गयी थी। साथ ही कहा गया था कि वह ऐसी “गलती” नहीं दोहराएंगे। साथ ही शर्तों का उल्लंघन करने पर बिना किसी नोटिस के उनके निष्कासन की बात का भी जिक्र किया गया था।
हालांकि मंगलवार को संपर्क किए जाने पर सिंह ने कहा कि वह इस पूरे मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। आईआईटी-गुवाहाटी के निदेशक, प्रोफेसर टी जी सीताराम,डीन ऑफ पब्लिक रिलेशंस, ब्रांडिंग और रैंकिंग, प्रोफेसर पी अय्यर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह मामला अभी विचाराधीन है। इस कारण वो अभी इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहेंगे। पूरे मामले को लेकर 1 अप्रैल को, सिंह ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि शर्त भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।
सिंह की तरफ से अदालत को बताया गया है कि IIT-गुवाहाटी ने उनसे संस्थान को बदनाम करने के लिए माफी मांगने के लिए कहा है, लेकिन उन्हें वह सामग्री भी प्रदान नहीं की गयी जिसे संस्थान के द्वारा मानहानिकारक माना गया है। बताते चलें कि पिछले साल, IIT-मद्रास में एक जर्मन एक्सचेंज के छात्र को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में कथित रूप से भाग लेने के लिए देश छोड़ने के लिए कहा गया था।