Jammu Kashmir Earthquake: जम्मू-कश्मीर के किश्तवार में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं, तीव्रता तो 3.1 दर्ज की गई है, लेकिन लोग पैनिक में घर से बाहर निकले हैं। इस भूकंप का एपीसेंटर किश्तवार के पास में ही रहा है और झटके देर रात 1.36 AM महसूस किए गए। बड़ी बात यह है कि भूकंप का केंद्र धरती के सिर्फ 10 किलोमीटर भीतर था, उस वजह से भी कम तीव्रता के बावजूज झटके ज्यादा तेज महसूस हुए।

राहत की बात यह है कि भूकंप के बाद किसी भी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लोगों में थोड़ा डर जरूर देखने को मिला, लेकिन कम तीव्रता की वजह से ना किसी बिल्डिंग को नुकसान हुआ और ना ही जान-माल की क्षति हुई। वैसे जम्मू-कश्मीर को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है, यहां पर एक बड़े भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसी वजह से प्रशासन भी अलर्ट रहता है और लोग भी ज्यादा जागरूक देखने को मिलते हैं।

वैसे रविवार को रूस में भी चार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रूस में जो भूकंप आया, उसका केंद्र कामचात्सकी शहर के पूर्व में स्थित था और इसकी गहराई केवल 10 किलोमीटर थी। इसके कारण झटकों का असर जमीन पर काफी अधिक हुआ। हालांकि रूस में भूकंप के कारण किसी भी प्रकार के जान माल के नुकसान की खबर नहीं थी, सुनामी का अलर्ट जरूर जारी किया गया।

कौन सा भूकंप कितना ताकतवर?

भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।

Seismic ZoneRisk LevelMajor Areas
Zone VHighly activeहिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व, कच्छ, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
Zone IVHighदिल्ली, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश
Zone IIIModerateमहाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल
Zone IILowडेक्कन प्लेट्यू, मध्य भारत

भूकंप से निपटने के लिए क्या कदम?

अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।

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