पर्यावरणविद प्रकृति व पर्यावरण के मित्र चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई। वृक्षों के लिए हर लड़ाई जीतने वाले बहुगुणा कोरोना की जंग हार ग।. सुंदरलाल बहुगुणा को 8 मई को कोविड -19 के इलाज के लिए ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार दोपहर को तबीयत बिगड़ जाने की वजह से सुंदरलाल बहुगुणा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 94 वर्ष के थे।
सुंदरलाल बहुगुणा सामाजिक संघर्षों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। गांधीवादी विचारों में अपनी आस्था रखने वाले सुंदरलाल बहुगुणा ने अपने जीवन काल में कई आंदोलन किए। एकबार तो उन्होंने शराब दुकान खोलने के विरोध में भी आंदोलन किया था। 1971 में बहुगुणा ने टिहरी जिले में शराब दुकान खोले जाने का जमकर विरोध किया था। सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में पुरानी टिहरी बस अड्डे पर शराब की दुकान के बाहर लोगों ने धरना शुरू किया था और शांति भंग के आरोप में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो 16 दिनों तक अनशन पर बैठे रहे थे।
उन्होंने टिहरी बांध के खिलाफ आंदोलन का भी नेतृत्व किया ,जो दुनिया के सबसे ऊंचे बड़े बांधों में शुमार है और बांध की स्वतंत्र समीक्षा की मांग को लेकर लंबे समय तक वे अनशन पर भी रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव द्वारा एक स्वतंत्र समिति गठित करने के आश्वासन पर 45 दिनों के बाद बहुगुणा ने अनशन समाप्त कर दिया था। लेकिन जब वादा पूरा नहीं किया गया, तो वह 74 दिनों के दोबारा अनशन पर बैठ गए थे।
सुंदरलाल बहुगणा अमर शहीद श्रीदेव सुमन से खासा प्रभावित थे। सुमन ने युवा सुंदरलाल को शांति और अहिंसा के गांधीवादी तरीके से परिचित कराया था। बाद में सुंदरलाल बहुगणा ने अपनी पत्नी विमला नौटियाल के सहयोग से ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की। बाद में अलकनंदा घाटी के मंडल गांव में चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। सुंदरलाल बहुगुणा ने इस आंदोलन को दिशा दी और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से पेड़ों की कटाई रोकने का आदेश देने की अपील की थी। उसका नतीजा यह हुआ कि पेड़ों की कटाई पर 15 साल तक की रोक लगा दी गयी थी। इस आंदोलन से ही सुंदरलाल बहुगुणा ने लोगों के बीच अपनी पहचान ‘वृक्षमित्र’ के रूप में बनाई।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, कांग्रेस नेता जयराम रमेश सहित अन्य ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की सदियों पुरानी परंपरा को जोड़े रखा। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। मेरी भावनाएं उनके परिवार के साथ है। ॐ शांति।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे न केवल उत्तराखंड और भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति बताया। तीरथ सिंह रावत ने लिखा कि उन्होंने ही चिपको आंदोलन को जनता का आंदोलन बनाया था।

