अयोध्या में राजस्थान से आए पत्थरों की खेप से मंदिर निर्माण की अटकलें तेज हो गई हैं। बीते रविवार को रामसेवकपुरम की कार्यशाला में आए पत्थरों की खेप से साधु-संतों में मंदिर निर्माण को लेकर एक लहर दौड़ गई है। प्रशासन में भी हलचल बढ़ गई है। वहीं पुलिस अधीक्षक का कहना है कि पत्थर मंगाए जाने की जानकारी है। जब शांति व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द खराब होने की संभावना होगी, तो कार्रवाई की जाएगी।
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कारसेवकपुरम में आए पत्थरों की विधिवत पूजा अर्चना की और कहा कि यह दूसरा शिलान्यास है जो मंदिर निर्माण को पुख्ता कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं और न्यायालय को भी जनता का रुख देखना चाहिए। हम कोर्ट से आग्रह करेंगे कि जनभावना का सम्मान करें, फिलहाल हम पत्थरों की तराशी कर के अपनी तैयारी पूरी कर रहे हैं, जिससे सही वक्त पर मंदिर निर्माण शुरू हो सके। वहीं दूसरी ओर सोमवार को पत्थरों की दूसरी खेप भी कार्यशाला पहुंच गई।
विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि पत्थर की तराशी के काम में अभी तक चार कारीगर थे। दो और बढ़ाए जा चुके हैं। रामसेवकपुरम में दो क्रेनों के माध्यम से पत्थरों को उठाने का काम किया जा रहा है। इस अवसर पर मानस अगस्त रामअवतार दास, पुजारी रामदास और कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा भी मौजूद थे।
शरद शर्मा ने बताया कि 2007 के बाद पत्थरों की आमद फिर शुरू की गई है, एक ट्रक में 15 टन पत्थर तीन बडे टुकड़ों में लाए गए हैं। वहीं उन्होंने बताया कि इन पत्थरों को देखने के लिए श्रद्धालु आज दिन भर कार्यशाला में पत्थरों का अवलोकन करते नजर आए।
मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला में अब तक 65 फीसद पत्थर तराश कर रखे जा चुके हैं। पिछले आठ महीने से पत्थरों के तराशने का रुका काम आज से फिर शुरू हो गया है। मंदिर निर्माण के प्रथम तल पर लगने वाले पत्थरों के तराशने का काम पूरा हो चुका है। रखे हुए पत्थरों पर काई जम रही है इसे भी साफ करना पड़ेगा।
मंदिर की कुल लंबाई 270 फुट और चौड़ाई 132 फुट की होगी। 128 फुट ऊंची इस मंदिर में दस फुट चौड़ा परिक्रमा मार्ग होगा। पूरा मंदिर राजस्थान के भरतपुर से आए हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनेगा। कुल पत्थर एक लाख 75 हजार घनफुट लगेगा। मंदिर दोमंजिला होगा उसमें लोहे का कहीं प्रयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर के भूतल पर रामलला विराजमान होंगे और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार रहेगा। मंदिर में कुल 212 खंबे बनाए जाएंगे और हरेक पर सोलह मूर्तियां उकेरी जाएंगी। मंदिर में कुल 24 दरवाजे होंगे। चौखट संगमरमर के होंगे।
अयोध्या में 1990 से पत्थर तराशने का काम कार्यशाला में चल रहा है और राजस्थान के पीडवाडा व मकराना में चार कार्यशालाएं फरवरी 1996 से चल रही हैं। भूतल पर लगने वाले लगभग सभी पत्थर तैयार हो चुके हैं और संगमरमर के चौखटों की खेप अयोध्या पहुंचने वाली है।
विवादित स्थल से अयोध्या स्थित कार्यशाला लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है, जहां से पत्थरों को क्रेन से ट्रकों पर रख कर विवादित स्थल पर भी पहुंचाया जा सकता है। राजस्थान से पत्थरों की खेप लगातार आने की जानकारी विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने सोमवार को दी और कहा कि अब कार्यशाला में पत्थर तराशने काम तेजी से शुरू हो गया है।
* रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कारसेवकपुरम में आए पत्थरों की विधिवत पूजा अर्चना की और कहा कि यह दूसरा शिलान्यास है जो मंदिर निर्माण को पुख्ता कर रहा है।
* वहीं दूसरी ओर सोमवार को पत्थरों की दूसरी खेप भी कार्यशाला पहुंच गई। इन पत्थरों को देखने के लिए श्रद्धालु आज दिन भर कार्यशाला में पत्थरों का अवलोकन करते नजर आए।