शेयर बाजार किसी देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। जिस तरह से किसी देश, गांव या शहर के विकास के लिए सड़क, परिवहन, हवाई अड्डे, रेल यातायात, बिजली, पेयजल की जरूरत होती है, वैसे ही देश के आर्थिक विकास के लिए शेयर बाजार जरूरी हैं। आधुनिक समय में शेयर बाजार की हालत देखकर उस देश की अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

उद्योग धंधों को चलाने के लिए पूंजी चाहिए होती है जो उन्हें शेयर बाजार के माध्यम से प्राप्त होती है। शेयर बाजार के माध्यम से हर आम आदमी बड़े से बड़े उद्योग में अपनी भागीदारी प्रदान कर सकता है। इस तरह की भागीदारी से वह बड़े उद्योगों में होने वाले मुनाफे में हिस्सेदार बन सकता है।

आंकड़ों के मुताबिक 2022 में भारत मे तकरीबन नौ करोड़ लोगों के पास डीमैट अकाउंट थे और ये संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में भारत ने ब्रिटेन को शेयर बाजार के आकार के मामले में पीछे छोड़ दिया है। जहां ब्रिटेन का शेयर बाजार 3.19 ट्रिलियन डालर का है वहीं भारत का बाजार 3.21 ट्रिलियन डालर का हो गया है।

इस प्रकार, अब भारत का शेयर बाजार पूरी दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। जैसे-जैसे लोगों में जागरुकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे वे शेयर बाजार का हिस्सा बन रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं। चूंकि एक ‘स्टाक ब्रोकर’ ही निवेशक और शेयर बाजार की बीच की कड़ी होता है इसलिए ‘स्टाक ब्रोकरिंग’ के क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर पैदा हुए हैं।

दो दशक पहले तक बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) में शेयरों की सीधे खरीद फरोख्त करनी पड़ती थी। लेकिन आज कंप्यूटरों व स्मार्ट फोन और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी घर बैठे शेयर आनलाइन खरीद और बेच सकता है। सूचना क्रांति का ये एक उत्कृष्ट नमूना है। जो काम पहले कुछ पैसे वाले लोग ही कर सकते थे, अब वो सब एक आम आदमी भी कर सकता है।

कौन होता है ‘स्टाक ब्रोकर’

आज बड़ी तादाद में लोग स्टाक एक्सचेंजों के माध्यम से कारोबार कर रहे हैं। हालांकि, एक निवेशक सीधे स्टाक एक्सचेंजों में व्यापार नहीं कर सकता। एक्सचेंजों के जरिए स्टाक खरीदने या स्टाक बेचने के लिए, आपको एक मध्यस्थ की आवश्यकता होती है जो लेनदेन में आपकी मदद करता है। स्टाक ब्रोकर ही वह मध्यस्थ है जिसके पास निवेशक की ओर से स्टाक एक्सचेंज में स्टाक और प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने का अधिकार होता है।

यह मध्यस्थ एक व्यक्ति या एक कंपनी हो सकती है। स्टाक ब्रोकर आम तौर पर एक स्टाक ब्रोकिंग फर्म से जुड़े होते हैं, लेकिन वे एक स्वतंत्र व्यक्ति भी हो सकते हैं। स्टाक ब्रोकर इस सेवा को प्रदान करने के लिए, शुल्क लेता है। स्टाक ब्रोकर एक और महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; वे ऐसी जानकारी प्रदान करते हैं जो निवेशक को सही निवेश निर्णय लेने में मदद करता है।

स्टाक ब्रोकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992, प्रतिभूति अनुबंध विनियम अधिनियम, 1956, और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (स्टाक ब्रोकर और सब ब्रोकर विनियम), 1992 के तहत शासित होते हैं। स्टाक ब्रोकरों को अन्य नियमों, विनियमों और उपनियमों के तहत भी विनियमित किया जाता है जो कि सेबी समय-समय पर जारी कर सकता है।

भारत में हर स्टाक ब्रोकर को स्टाक एक्सचेंजों का सदस्य होना चाहिए और सेबी के साथ पंजीकृत होना भी जरूरी है। स्टाक ब्रोकर अपनी वेबसाइटों पर और यहां तक कि आधिकारिक दस्तावेजों पर भी अपने पंजीकरण विवरण प्रदर्शित करते हैं। कोई भी व्यक्ति सेबी की वेबसाइट पर जा सकता है व पंजीकृत स्टाक ब्रोकर का विवरण पा सकता है।

स्टाक ब्रोकर बनने के लिए आवश्यक योग्यता

स्टाक ब्रोकर के रूप में अपना करिअर बनाने के लिए उम्मीदवार बैंकिंग और वित्त में पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं। यह एक वर्ष का पाठ्यक्रम होता है, जिसमें बैंकिंग संचालन, वित्त प्रबंधन, ट्रेड फाइनेंस जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। स्नातक कर चुके विद्यार्थी या स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थी पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एवं वित्त पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं और स्टाक ब्रोकर बनने की दिशा में अपना पहला कदम रख सकते हैं।

इस पाठ्यक्रम के लिए विद्यार्थी को कामर्स स्ट्रीम से 50 फीसत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इस क्षेत्र में करिअर बनाने वाले विद्यार्थियों को मार्केटिंग, बिजनेस, अकाउंटिंग और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में रुचि होनी चाहिए। स्टॉक ब्रोकिंग में यदि अवसरों की बात करें, तो आप वित्तीय सलाहकार, बैंक ब्रोकर, स्वतंत्र ब्रोकर, इक्विटी विश्लेषक, स्टाक ब्रोकिंग फर्म/कंपनी, निवेश बैंकर के तौर पर भी काम कर सकते हैं। एक स्टाक ब्रोकर के तौर पर आप निवेश बैंक, पेंशन फंड फर्म, म्यूचुअल फंड फर्म, फाइनेंशियल/ इंवेस्टमेंट कंसल्टेंसी जैसी जगहों पर कार्य कर सकते हैं।

स्टॉक ब्रोकर के कार्य

  1. स्टॉक ब्रोकर स्टॉक और अन्य प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने से संबंधित सटीक सलाह देते हैं। चूंकि वे बाजारों को जानते हैं, इसलिए वे एक ग्राहक को सलाह दे सकते हैं कि कौन से स्टॉक खरीदें और बेचें या उन्हें कब खरीदना या बेचना है। वे ऐसे सुझाव देने से पहले अच्छी तरह से प्रतिभूतियों का अनुसंधान करते हैं।
  2. स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों की ओर से शेयर खरीदते हैं और बेचते हैं और संबंधित कागजी कार्रवाई को संभालते हैं। वे रिकॉर्ड कीपर के रूप में भी कार्य करते हैं और सभी लेनदेन, बयानों आदि के रिकॉर्ड रखते हैं।
  3. स्टॉकब्रोकर ग्राहक के निवेश पोर्टफोलियो का प्रबंधन करते हैं और अपने ग्राहकों को अपने पोर्टफोलियो के बारे में नियमित रूप से अपडेट प्रदान करते हैं। वे ग्राहक के निवेश से जुड़े सवाल का जवाब भी देते हैं।
  4. स्टॉक ब्रोकर शेयर बाजार में किसी भी नए निवेश के अवसर के बारे में अपने ग्राहक को सूचित करते हैं।
  5. स्टॉक ब्रोकर बाजार की स्थितियों के आधार पर निवेश रण नीतियों में परिवर्तन करने के लिए भी ग्राहक की मदद करता है।

स्टॉक ब्रोकरिंग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर

स्टॉक ब्रोकिंग में यदि अवसरों की बात करें, तो आप फाइनेंशियल एडवाइजर, बैंक ब्रोकर, इंडिपेंडेंट ब्रोकर, इक्विटी एनालिस्ट, स्टॉक ब्रोकिंग फर्म/कंपनी, इंवेस्टमेंट बैंकर के तौर पर भी काम कर सकते हैं। चूंकि यह मार्केटिंग और सेल्स से भी जुड़ा है, इसलिए वहां पर भी आपको काफी अच्छे अवसर मिल सकते हैं।

एक स्टॉक ब्रोकर के तौर पर आप इन्वेस्टमेंट बैंक्स, पेंशन फंड्स ब्रोकिंग फर्म्स, म्यूचुअल फंड्स, फाइनेंशियल/ इंवेस्टमेंट कंसल्टेंसी जैसी जगहों पर कार्य कर सकते हैं। शुरूआती दिनों में किसी ब्रोकरेज फर्म से जुड़कर 2.5 लाख से 3 लाख तक की आय अर्जित की जा सकती है। अनुभव और क्लाइंट्स की संख्या बढ़ने के साथ साथ आय असीमित होती जाती है।

प्रमुख संस्थान

इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली, टीकेडब्लूएस इंस्टीट्यूट आॅफ बैंकिंग ऐंड फाइनेंस, नई दिल्ली, मणिपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक,

सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मुंबई।

अविनाश चंद्रा (लोकनीति मामलों के जानकार)