केंद्र से प्रधानमंत्री पोषण योजना के लिए 2022-23 के अंतर्गत समय पर धनराशि प्राप्त करने के बावजूद नामित एजंसी को जून के अंत तक पैसा मुहैया कराने में नाकाम रहने वाली राज्य सरकारों को ब्याज सहित राशि भारत की संचित निधि (सीएफआइ) में लौटानी होगी। एक पत्र से यह जानकारी सामने आई है।

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में अवर सचिव अजय कुमार द्वारा 31 मई 2023 को सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों, शिक्षा सचिवों और पीएम पोषण के लिए शीर्ष विभागों को लिखे पत्र से यह जानकारी मिली है। पत्र के अनुसार कि व्यय विभाग ने यह निर्णय किया है कि 2022-23 के लिए पीएम पोषण के तहत जिन राज्यों को केंद्रीय हिस्सेदारी की राशि प्राप्त हो गई है और 30 जून 2023 तक उक्त राशि को राज्य के खजाने से नामित एजंसी को जारी नहीं की गई है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के सुझाव के अनुरूप उन्हें इस राशि को ब्याज सहित भारत की संचित निधि को लौटाना होगा।

इसमें कहा गया है कि ऐसे में यह आग्रह किया जाता है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए कोष जारी करने संबंधी सभी प्रावधानों एवं संशोधित प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। सूत्रों के अनुसार राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को किस्त जारी कर दी गई थी। हालांकि कई राज्य सरकारों के खजाने से केंद्रीय हिस्से की राशि नामित एजंसी को निर्धारित 21 दिनों की अवधि में जारी नहीं की गई। ऐसे में केंद्र ने राज्य सरकारों को नियमों का हवाला देते हुए उनसे पूरी धनराशि जल्द एजंसी को हस्तांतरित करने को कहा था।

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत कोष जारी करने की प्रक्रिया संबंधी ज्ञापन के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार को केंद्र प्रायोजित योजना के अनुपालन के लिए एकल शीर्ष एजंसी (एसएनए) निर्धारित करनी होती है। मंत्रालय/विभाग द्वारा हर योजना के मद में केंद्र के हिस्से को राज्य सरकार के खाते में जारी किया जाएगा और राज्य सरकार इस राशि को एसएनए को जारी करेगी ।

इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें अपना हिस्सा जल्द से जल्द जारी करेंगी और यह केंद्र का हिस्सा जारी किए जाने के 40 दिनों के भीतर होना चाहिए। इस बीच, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में संयुक्त सचिव ने अक्तूबर 2022 के अंतिम सप्ताह में पत्र लिखकर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया था कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत केंद्र द्वारा जारी किस्त की राशि पूरी तरह से हस्तांतरित की जाए ताकि योजना का सुचारु रूप से अमल सुनिश्चित किया जा सके।

इस पत्र में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से कहा गया था कि यह बात सामने आई है कि योजना के लिए जारी केंद्रीय हिस्से की राशि अधिकांश राज्यों के खजाने से एकल शीर्ष एजंसी के खाते में जारी नहीं की गई या आंशिक तौर पर जारी की गई । प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना एक प्रमुख केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना के दायरे में बाल बाटिका से आठवीं कक्षा के सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आते हैं । 2021-22 के दौरान इसके दायरे में 10.84 लाख संस्थानों में पढ़ने वाले करीब 12 करोड़ बच्चे आए थे।