स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक बार फिर कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाया है। उन्होंने एक खबर का लिंक शेयर करते हुए लिखा कि तमाम सूबतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए ये अदालत फिर से पाखंड की सीमा पार करती है। ट्वीट में उन्होंने केरल के पत्रकार से जुड़ी एक खबर शेयर की है जिसमें टॉप कोर्ट ने सिद्दीक कप्पन से जुड़ी याचिका की सुनवाई 20 नवंबर तक के लिए टाल दी।
पत्रकार कप्पन यूपी के हाथरस में कथित रूप से गैंगरेप के बाद जान गंवाने वाली दलित युवती के परिवार से मिलने जा रहे थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूपी सरकार को एक नोटिस जारी किया। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपत्रा और जस्टिस रामसुब्रमणियन की पीठ ने पत्रकार की जमानत के लिए केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की याचिका 20 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की है।
दरअसल कुणाल कामरा के इस ट्वीट को रिपब्लिक मीडिया ग्रुप के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी के दिन गोस्वामी मामले की सुनवाई की जिसमें उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई जबकि कप्पन की याचिका पर तुरंत सुनवाई नहीं की गई। इसी पर तंज कसते हुए पूर्व में कामरा ने कहा था कि जिस गति से सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ऑपरेट करती है यह समय है कि महात्मा गांधी की फोटो को हरीश साल्वे के फोटो से बदल दिया जाए।
Tamaam Sabooton aur Gawahon ko maddenazar rakhte hue Yeh adalat phir se Hypocrisy ki seema paar karti hai https://t.co/4oZjGrTeHi
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 16, 2020
एक ट्वीट में उन्होंने कहा था कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड एक फ्लाइट अटेंडेंट हैं जो प्रथम श्रेणी के यात्रियों को शैम्पेन ऑफर कर रहे हैं क्योंकि वो फास्ट ट्रैक्ड हैं। जबकि सामान्य लोगों को यह भी नहीं पता कि वो कभी चढ़ या बैठ भी पाएंगे, सर्व होने की तो बात ही नहीं है। कुणाल कामरा के इन ट्वीट्स को कोर्ट की अवमानना माना गया।
उनके ट्वीट्स के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित अपमानजनक ट्वीट करने के लिए उन पर कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की अनुमति दी थी। अपने खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू होने पर कामरा ने प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा था कि ना वकील करुंगा, ना माफी मागूंगा और ना जुर्माना दूंगा। उन्हें इसे वक्त की बर्बादी बताया। कामरा ने कहा कि उनके ट्वीट्स को कोर्ट की अवमानना माना गया। जबकि उनकी प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट के पक्षपातपूर्ण फैसले के बारे में विचार था जो कोर्ट ने प्राइम टाइम लाउडस्पीकर के लिए दिए थे।