SSC Recruitment Scam Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से शिक्षक भर्ती घोटाले में शिक्षकों को एक बड़ी राहत दी गई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि जब तक नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती, शिक्षक अपने पद पर बने रह सकते हैं। यहां पर समझने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट की राहत उन्हीं शिक्षकों को मिलने वाली है जिनकी नियुक्ति में किसी तरह की कोई धांधली नहीं हुई थी।

यहां पर समझने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद 26 हजार के करीब शिक्षकों का भविष्य अंधकार में आ गया था। जिन शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली पाई गई, उनकी नौकरी तो गई ही, इसके साथ-साथ उस समय सही तरीके से भी जिनकी नियुक्तियां हुई थीं, उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन अब उन निर्दोष शिक्षकों को ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए राहत दे दी है। नई नियुक्ति शुरू होने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे।

वैसे सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति ग्रुप सी या फिर ग्रुप डी में आती है, उन्हें कोई राहत नहीं मिलने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन दोनों ही कैटेगरी में धांधली के मामले में ज्यादा हैं। सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि वो 31 मार्च से नई प्रक्रिया शुरू करे और उसे 31 दिसंबर तक पूरा भी कर ले। किसी भी तरह की देरी ना करने की हिदायत दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट में होगी बड़ी बहस

SSC स्कैम की बात करें तो यह केस पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता से जुड़ा हुआ है। ऐसे आरोप लगे हैं कि बड़े मामले नियुक्तियों के दौरान धांधली हुई। ऊपर से लेकर नीचे तक कई स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ, पक्षपात के जरिए करीबियों को नौकरी दी गई। यहां भी सबड़े बड़ा खेल मेरिट लिस्ट में हुआ जिसमें कम अंक वालों को नौकरी मिली और ज्यादा अंक वालों को नहीं। साल 2022 में इस केस में सीबीआई की एंट्री हुई और ममता के करीबी पार्थ चटर्जी से पूछताछ शुरू हुई।

पार्थ चटर्जी 2014 से 2021 तक बंगाल के शिक्षा मंत्री रहे, उन पर भी आरोप लगा कि उन्होंने इस पूरे मंत्रालय को ही अपने कब्जे में रखा और मनमुताबिक नियुक्तियां हुईं। इसके ऊपर उनके करीबी अर्पिता मुखर्जी के आवास पर जब नोटों का बंडल मिला, उसने मुख्यमंत्री ममता की किरकिरी और ज्यादा करवा दी।