सशस्त्र सीमा बल (SSB) के 13 जवानों को कई घंटे तक हिरासत में रखकर छोड़ने के बाद नेपाली अधिकारी दावा कर रहे हैं कि भारतीय जवानों ने उनसे कथित तौर पर माफी मांगी, जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया। ‘द हिमालयन टाइम्स’ की रिपोर्ट में ‘राष्ट्रीय समाचार समिति’ के हवाले से लिखा गया है कि नेपाल के झापा जिले के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर दामारू निरौला ने बताया कि SSB के जवानों मांफी मांगी और बताया कि वह गलती से नेपाल में घुस गए थे। इसके बाद सभी 13 जवानों को SSB के बटालियन कमांडर जीबी नेगी को सौंप दिया गया।
‘द हिमालयन टाइम्स’ की रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘भारतीय जवान तस्करों का पीछा करते हुए नेपाल में घुस आए थे। उन्हें करीब 5 घंटे तक हिरासत में रखा गया। नेपाली धरती पर कदम रखने के बाद उन्हें आर्म्ड पुलिस फोर्स ने हिरासत में लिया था।’
दूसरी ओर नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों ने कहा कि SSB की पेट्रोल पार्टी 12वीं बटालियन के दो जवानों- कांस्टेबल रोशन और रामप्रसाद की टीम के पीछे-पीछे अनजाने में नेपाली सीमा में घुस गई थी। यह दल नेपाल की सीमा में करीब 50 मीटर अंदर खूंटानमणि गांव पहुंच गया, जहां उसे ग्रामीणों ने घेर लिया और आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) को सौंप दिया।
SSB के महानिदेशक बीडी शर्मा ने कहा, ‘APF ने भारत-नेपाल सीमा पर एक चौकी में हमारे 13 जवानों को हिरासत में ले लिया। मैंने APF प्रमुख और महानिरीक्षक केशराज ओंटा से बात की। उन्होंने जवानों की सुरक्षित रिहाई का आश्वासन दिया।’ शर्मा ने बताया कि SSB जवानों के साथ APF ने उचित व्यवहार किया।
पिछले दिनों SSB की गोलीबारी में घायल हो गए थे नागरिक
पिछले हफ्ते भारत से लगती सीमा के नजदीक दक्षिणी नेपाल में SSB की गोलीबारी से चार नेपाली नागरिक घायल हो गए थे। नेपाल ने आरोप लगाया था कि SSB जवान हमारी सीमा में 100 मीटर अंदर तक घुस आए थे और चार निहत्थे नेपालियों पर गोली चलाई थी। वहीं, भारतीय दूतावास ने इस घटना पर सफाई दी थी कि SSB जवानों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी ।
भारत के साथ क्यों है तनाव?
नया संविधान लागू होने के बाद भारत से सटी नेपाल की सीमा पर मधेसी आंदालन कर रहे हैं। इस वजह से नेपाल में खाने-पीने का सामान, ईंधन और दवाइयों की आपूर्ति भारत नहीं कर रहा है। नेपाल का कहना है कि भारत जानबूझकर ऐसा कर रहा है। वह मधेसियों को समर्थन दे रहा है। उसे नेपाल के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।
नेपाल ने कुछ दिनों पहले ही किया था चीन से समझौता
भारत से होने वाले पेट्रोलियम उत्पादों की सप्लाई में बाधा के बाद नेपाल ने चीन का रुख कर लिया है। कुछ दिनों पहले नेपाल ने पेट्रो चाइना के साथ दो समझौतों पर दस्तखत किए थे, जिसके तहत नेपाल को चीन की ओर से 1000 मीट्रिक टन पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति की जाएगी। नेपाल के साथ समझौता कर ड्रैगन ने कूटनीतिक मोर्चे पर भारत को बड़ा झटका दिया था। दरअसल, नेपाल में नए संविधान बनने के बाद से मधेशी आंदोलन कर रहे हैं। इस वजह से भारतीय ट्रक नेपाल में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते वहां खाने-पीने की चीजों, ईंधन और दवाइयों की किल्लत हो गई है। इसी वजह से नेपाल बार-बार भारत पर आरोप लगा रहा है। वहीं, भारत का यह कहना है कि सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की वजह से वह चाहकर भी आपूर्ति नहीं कर पा रहा है।
नेपाल में क्यों हो रहा है विरोध?
नेपाल में मधेसी और थारू जाति के अल्पसंख्यक नए संविधान में प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि बड़ी पार्टियों की साजिश के चलते वे राजनीतिक रूप से पिछड़ गए हैं। इसी को लेकर वे आंदोलन चला रहे हैं। नेपाल में हाल ही में नया संविधान लागू किया गया है।
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