दीपावली पर आगजनी या पटाखे संबंधी दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसे देखते हुए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बर्न ऐंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में ऐसे घायलों के इलाज के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा आरएमएल, डीडीयू, लेडी हार्डिंग और संजय गांधी अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भी ऐसे मरीजों के इलाज के इंतजाम किए गए हैं, लेकिन लोकनायक व जीटीबी अस्पताल में इस बार जले मरीजों के इलाज के कोई इंतजाम नहीं हैं, क्योंकि यह अस्पताल इस बार कोविड वार्ड बना हुआ है।
आम दिनों में जलने के डेढ़ सौ मामले इमरजेंसी में आते हैं। वहीं दिवाली की रात ऐसे मामलों की संख्या 250 से 300 तक पहुंच जाती है। हालांकि पटाखे जलाने पर इस बार रोक है। इससे थोड़ी राहत रहने की उम्मीद है। इस बार अस्पतालों में बिस्तरों के इंतजाम के अलावा एम्बुलेंस की भी विशेष सुविधा है।
सफदरजंग अस्पताल के बर्न्स, प्लास्टिक मेक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ शलभ कुमार ने बताया कि अस्पताल में 30 अतिरिक्त बिस्तर लगाए गए हैं और शनिवार शाम पांच बजे से रात 11 बजे तक 20 डॉक्टर विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। विभाग के अधिकारी डॉ कुमार ने बताया कि अस्पताल में चार काउंटर अतिरिक्त तौर पर लगाए गए हैं जो मरहम पट्टी के लिए होंगे। डॉ. कुमार ने कहा कि यह अतिरिक्त इंतजाम इसलिए हैं ताकि बिना समय गंवाए आने वाले घायलों का इलाज शुरू किया जा सके।
उन्होंने कहा कि पटाखों पर रोक के बावजूद जितनी तैयारी हम पिछले सालों में करते थे, इस साल भी उतनी ही की है। उन्होंने कहा कि इस बार आशा करते हैं कि जले हुए मरीज काम आएंगे। क्योंकि पटाखे जलन प्रतिबंधित है। फिर भी दिए या मोमबत्ती से कुछ लोग जल जाते हैं तो हमने उनके लिए पूरे इंतजाम किए हुए है। वहीं, शॉर्ट सर्किट की वजह से भी पर्दे या घरों में आग लगने की घटनाएं हो जाती हैं या बिजली की लड़ियां लगाते करंट से झुलसने के मामले भी आ जाते हैं। आम दिनों में जितनी ओपीडी टेबल होती हैं उसके अलावा चार विशेष टेबल और लगाई हैं। उसके अलावा चार ऐसे ही ड्रेसिंग स्टेशन लगाए हैं जिसमें दीवाली से जुड़ी घटना के मरीजों को देखा जाएगा। इसलिए वो जगह रखी है ताकि जिनको भर्ती करने की जरूरत न हो उनकी जल्दी मरहम पट्टी करके उन्हें घर भेजा जा सके। उन्होंने बताया कि अतिरक्त एम्बुलेंस के लिए भी लागतार तीन दिन के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।
एम्स बर्न विभाग के डॉ मनीष सिंघल ने बताईं सावधानियां
’दीया या मोमबत्ती जलाते वक्त सावधानी बरतें, बच्चों को हमेशा उससे दूर रखें
’सूती कपड़े पहनें और यह ढीले या लटकते हुए न हों। क्योंकि उनमें आग जल्दी पकड़ती है
’ज्वलनशील या सिंथेटिक कपड़े न पहनें क्योंकि जलने पर वे शरीर से बुरी तरह चिपक जाते हैं
’अपने आसपास हमेशा बाल्टी में पानी या रेत भरके रखें ताकि आग लगने की कोई भी घटना हो तो उसको तुरंत बुझा सकें
’आग बिजली से लगी हो तो भूलकर भी पानी न डालें
’अगर कोई हिस्सा जल जाता है तो उसको नल के पानी से लगातार 10-15 मिनट तक
धोते रहें।
’मंजन या घरेलू इलाज की कोई दूसरी कोशिश न करें। डाक्टर से तुंरत संपर्क करें