‘सोनिया गांधी ने मुझे 1991 में प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। वह नहीं चाहती थीं कि कोई भी स्‍वतंत्र विचारों वाला व्‍यक्ति पीएम बने। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मुझे लंबी रेस का घोड़ा मानते हैं और कहते थे कि अगर मैं पीएम बन गया तो यह गांधी परिवार के लिए अच्‍छा नहीं होगा।’ राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार ने ऑटोबायोग्राफी ‘लाइफ ऑन माय टर्म- फ्रॉम ग्रासरूट एंड कॉरिडोर्स ऑफ पावर’ में यह खुलासा किया है। उन्‍होंने लिखा, ’10 जनपथ के वफादारों ने सोनिया गांधी को इस बात के लिए मना लिया था कि मेरे बजाय पीवी नरसिंम्‍हा राव को पीएम बनाया जाए।’ पवार की ऑटोबायोग्राफी को गुरुवार को लॉन्च किया गया। इस मौके पर कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी, पीएम नरेंद्र मोदी, राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी भी मौजूद थे।

‘ऑटोबायोग्राफी’ में पवार ने लिखा, ’10 जनपथ के वफादारों में शामिल वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह खुद भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। उन्हें उम्मीद थी कि नरसिम्‍हा राव के बाद अगले पीएम वह ही बनेंगे, इसलिए उन्होंने पवार की जगह नरसिम्‍हा राव को पीएम बनाने के लिए सोनिया गांधी को राजी किया। बाद में सोनिया गांधी ने उनकी बात मान ली और शरद पवार को नरसिम्‍हा राव की कैबिनेट में रक्षा मंत्री का पद मिला।’ किताब में पवार लिखा है, ‘वफादार कहते थे- पवार के आने से फर्स्ट फैमिली का नुकसान होगा’

पवार ने यह भी लिखा है कि पीवी नरसिम्‍हा राव सीनियर लीडर थे, लेकिन चुनाव से पहले ही वह स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कारणों की वजह से राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे। उन्‍हें वापस लाने के पीछे तर्क दिया गया कि उनका अनुभव काफी ज्‍यादा है। पवार ने गांधी परिवार के वफादारों में एमएल फोतेदार, आरके धवन, अर्जुन सिंह और विंसेंट जॉर्ज के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी है।

पवार ने लिखा है कि सोनिया ने जैसे ही वफादारों के कहने पर 1991 में राव को चुनने का फैसला लिया, वैसे ही माहौल मेरे खिलाफ हो गया। आखिरकार पवार की जगह राव को चुना गया। उन्हें 35 से ज्यादा वोटों की बढ़त मिली थी। इसके बाद इंदिरा गांधी के चीफ सेक्रेटरी और गांधी परिवार के भरोसेमंद पीसी एलेक्जेंडर ने पवार और राव के बीच मीटिंग कराई। मीटिंग में पवार को तीन बड़ी पोस्ट ऑफर की गईं।

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