क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के पांच दिन बाद उनकी पत्नी और एक्टिविस्ट गीतांजलि अंगमो ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भेजा है। इसमें वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की गई है। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंगमो ने अपने ज्ञापन में कहा है कि वांगचुक को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया है और उन्होंने सवाल उठाया है कि उन्हें अपने पति से फ़ोन पर या व्यक्तिगत रूप से बात करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई।
सोनम वांगचुक की पत्नी ने केंद्र और जांच एजेंसियों पर लगाए गंभीर आरोप
अंगमो ने ज्ञापन में कहा, “मेरे पति की अवैध हिरासत के अलावा, जिस तरह से राज्य और उसकी एजेंसियां हमें परेशान कर रही हैं और निगरानी में रख रही हैं, वह निंदनीय है। यह भारतीय संविधान की भावना और लोकाचार का उल्लंघन है, जिसमें अनुच्छेद 21 और 22 भी शामिल हैं। ये प्रत्येक नागरिक को कानूनी प्रतिनिधित्व का मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं।”
वांगचुप की पत्नी ने बताया कि 30 सितंबर को संस्थान के सुरक्षा गार्ड को एक पत्र मिला जिसमें एक एफआईआर दर्ज थी और लद्दाख और पहाड़ियों के फ़ेलोशिप छात्रों, आवासीय कर्मचारियों, एचआईएएल संस्थान, फ्यांग में रहने वाले शिक्षक प्रशिक्षुओं की सूची के साथ नाम, माता-पिता, निवास और नई तस्वीरें, संपर्क नंबर और संस्थान में नामांकन की जानकारी मांगी गई थी। वांगचुक के ख़िलाफ पूरी तरह से धरपकड़ का आरोप लगाते हुए अंगमो ने अपने ज्ञापन में कहा है कि देश के लोग एकजुटता और समर्थन के लिए आगे आ रहे हैं, एक शांतिपूर्ण गांधीवादी प्रदर्शनकारी, जिसका राष्ट्र सेवा का बेदाग रिकॉर्ड रहा है, उसके ख़िलाफ सरकार की कार्रवाई से स्तब्ध हैं।
सोमन वांगुचक: केंद्र सरकार के झंडाबरदार एक्टिविस्ट से ‘देश के लिए खतरा’ बनने तक का सफर
भारतीय सेना के लिए प्रभावी आश्रय स्थलों के निर्माण में अपने पति के योगदान और लद्दाखी लोगों के राष्ट्रवाद पर ज़ोर देते हुए अंगमो ने कहा, “लद्दाख की धरती के सपूत के साथ इतना बुरा व्यवहार करना न केवल एक पाप है, बल्कि एकजुटता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ मज़बूत सीमाएं बनाने की दिशा में एक रणनीतिक भूल है। सोनम हमेशा भारत की एकजुटता, हमारी सीमाओं की मज़बूती और एक मज़बूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के ज़रिए इसके परिधीय क्षेत्रों के एकीकरण के पक्षधर रहे हैं। कानून और छठी अनुसूची के साथ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा भी इसमें शामिल हैं।”
राष्ट्रपति से वांगचुक की बिना शर्त रिहाई पर विचार करने का आग्रह करते हुए वांगचुक की पत्नी ने कहा कि एक ऐसा व्यक्ति जो कभी किसी के लिए ख़तरा नहीं बन सकता, अपने देश की तो बात ही छोड़िए।” अंग्मो ने इस ज्ञापन की प्रतियाँ प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, क़ानून मंत्रालय और लद्दाख के उपराज्यपाल कार्यालय को भी भेजी हैं।
CPIM सांसद ने क्या कहा?
सोनम वांगचुक जोधपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं। ऐसे में सोनम वांगचुक से मिलने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के सांसद अमरा राम पहुंचे थे। हालांकि उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिली। सोनम वांगचुक ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह किन शर्तों के तहत सोनम वांगचुक से मिलने की अनुमति देगी। जेल में वांगचुक से मिलने गए अमरा राम आधे घंटे इंतजार करने के बाद आखिरकार जेल से लौट आए थे।
सीकर के सांसद अमरा राम मंगलवार शाम को जेल गए तो मुख्य द्वार से थोड़ी ही दूरी पर पुलिस अवरोधक लगे हुए थे। इसके बाद उन्होंने जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर सोनम वांगचुक से मिलने की अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए मना कर दिया। लद्दाख में 24 सितंबर को हिंसक प्रदर्शन भड़काने के आरोप में शुक्रवार को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत लेह में हिरासत में लिए जाने के बाद सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल ले जाया गया था।