Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपनी मां की हत्या करने और उनके बॉडी पार्ट को खाने के दोषी पर बिल्कुल भी रहम नहीं किया। कोर्ट ने उसकी सजा-ए-मौत की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने इसे नरभक्षण का मामला बताया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी में सुधार की कोई भी गुंजाइश नहीं है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस मोहित-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम से दुर्लभतम है।

याचिकाकर्ता सुनील कुचकोरवी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया था। जस्टिस चव्हाण ने कुचकोरवी से कहा, ‘यह एक दुर्लभतम मामला है, जिसमें अपीलकर्ता ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसके मस्तिष्क, लीवर और बाकी अंगों को निकाल लिया और पकाकर खा लिया। यह नरभक्षण है। इस तरह हमने सत्र न्यायालय द्वारा आपको दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा है।’

क्या है पूरा मामला

कोर्ट रूम में सात साल पहले जो खौफनाक घटना हुई थी उसके बारे में जानकारी दी गई। इसमें कहा गया कि दोषी करार दिए गए कुचकोरवी ने न केवल अपनी मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की हत्या की, बल्कि मां के शव के टुकड़े-टुकड़े भी कर दिए। इतना ही नहीं मस्तिष्क, हृदय, लीवर और गुर्दे समेत कई पार्ट को पकाकर भी खा गया था।

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जैसे ही इस घटना के बारे में आसपास के लोगों क पता चला तो फौरन उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को मौके से अरेस्ट कर लिया और वारदात में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर लिया था। ऐसा कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मां ने उसे शराब खरीदने के लिए पैसे नहीं दिए थे। इसी वजह से उसने घटना को अंजाम दिया। हालांकि, अभी तक सही कारणों का पता नहीं चल पाया है।

कोल्हापुर की कोर्ट ने ठहराया था दोषी

बता दें कि साल 2021 में कोल्हापुर की एक कोर्ट ने सुनील कुचकोरवी को दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस घटना ने समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर दिया है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा था कि यह मामला क्रूरता से जुड़ा हुआ है। इस केस में करीब 12 लोगों ने गवाही दी थी।