RSS Chief Mohan Bhagwat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमख मोहन भागवत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को भारत का एक कमरा बताया है, जिस पर अजनबियों ने कब्जा कर लिया है। मोहन भागवत ने कहा कि इसे वापस लेना होगा। संघ प्रमुख ने सतना में एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहन भागवत ने कहा, “बहुत सारे सिंधी भाई यहां पर बैठे हैं। मुझे बड़ा आनंद है कि वो पाकिस्तान नहीं गए, वो अविभाजित भारत गए। यह आदत नई पीढ़ी तक जानी चाहिए क्योंकि हमारा एक घर है और परिस्थिति ने हमको उस घर से यहां पर भेजा है। वो घर और ये घर अलग नहीं है। पूरा भारतवर्ष एक घर है। लेकिन हमारे घर का एक कमरा जिसमें मेरी टेबल, कुर्सी, कपड़ा और सामान रहता था। वो किसी ने हथिया लिया है। कल मुझे उसे वापस लेकर फिर से डेरा डालना है और इसलिए याद रखना है अविभाजित भारत।” संघ प्रमुख की बात पर वहां बैठे दर्शकों ने तालियां बजाईं।
हम सब एक हैं- संघ प्रमुख
उन्होंने कहा, “किसी की भाषा या संप्रदाय चाहे जो भी हो, हम सब एक हैं, हम सब हिंदू हैं।” उन्होंने पहले भी हिंदू को सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान बताया है। उन्होंने कहा, “आज हम टूटे हुए दर्पण को देखते हैं और खुद को अलग समझते हैं। हमें एकता की आवश्यकता है। विवाद क्यों? हम चाहे किसी भी भाषा या संप्रदाय से खुद को जोड़ते हों, सच्चाई यह है कि हम सब एक हैं। हम सभी हिंदू हैं।”
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भारत में कई भाषाएं हैं- मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कई भाषाएं हैं, लेकिन उनकी भावना एक ही है। उन्होंने आगे कहा, “भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। प्रत्येक नागरिक को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए, स्थानीय भाषा, जिस राज्य में वह रहता है उसकी भाषा और राष्ट्रीय भाषा।”
भारत ने पीओके को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की
आरएसएस प्रमुख की यह बात भारत सरकार की उस आलोचना के कुछ दिन बाद आई है, जिसमें भारत ने पीओके में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की खबरें देखी हैं, जिनमें पाकिस्तानी सेना द्वारा निर्दोष नागरिकों पर की गई बर्बरता भी शामिल है। हमारा मानना है कि यह पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और इन इलाकों से संसाधनों की व्यवस्थित लूट का स्वाभाविक परिणाम है, जो उसके जबरन और अवैध कब्जे में हैं।” उन्होंने यह भी दोहराया कि पीओके भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा।
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