jaish-e-muhammad: कुख्यात आतंकी और जैश ए मोहम्मद का संस्थापक मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को चलाने के मकसद से रकम इकट्ठी करने के लिए एक महीने तक इंग्लैंड में डेरा डाले हुआ था। पाकिस्तानी करेंसी के हिसाब से उसे 15 लाख रुपये मिले भी थे। हालांकि, 1994 में भारत लौटने से पहले वह शारजाह और सऊदी अरब भी गया, लेकिन वहां उसे निराशा हाथ लगी थी। बता दें कि अजहर हाल ही में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले से लेकर 2001 में संसद पर हुए हमले तक का मास्टरमाइंड है।

उसने 1986 में अपने असली नाम और पते पर पाकिस्तानी पासपोर्ट हासिल किया और बड़े पैमाने पर अफ्रीकी और खाड़ी देशों की खाक छानी। हालांकि, उसे बाद में महसूस हुआ कि ‘कश्मीर के मकसद’ पर अरब देशों से खास हमदर्दी हासिल नहीं हुई। सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद अजहर से पूछताछ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आतंकी सरगना 1992 में यूनाइटेड किंगडम गया था।

लंदन के साउथ हॉल स्थित एक मस्जिद में मौलाना मुफ्ती सिमाइल ने उसकी यात्रा का बंदोबस्त किया था। मूल रूप से गुजरात का रहने वाले सिमाइल ने कराची के दारूल-इफ्ता-वल-इरशाद में तालीम हासिल की थी। मसूद ने जांचकर्ताओं को बताया था कि वह मुफ्ती इस्माइल के साथ एक महीने तक रहा और बर्मिंघम, नॉटिंघम, बर्ले, शेफील्ड, डड्सबेरी और लीचेस्टर जैसी जगहों पर ‘कश्मीर’ के लिए मदद मांगी। यहां उसे मदद के तौर पर 15 लाख रुपये मिले।

इसके बाद, 90 के दशक की शुरुआत में अजहर सऊदी अरब, अबू धाबी, शारजाह, केन्या, जाम्बिया भी गया और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे इकट्ठे किए। अजहर पैसे जुटाने सऊदी अरब भी गया और उन दो संगठनों से संपर्क किया, जो इस तरह की मदद का काम देखते थे। हालांकि, उसे यहां खास कामयाबी नहीं मिली। इसमें से एक संगठन जमीयत-उल-इस्लाह था, जो जमात-ए-इस्लामी का सहयोगी है।

अजहर ने जांचकर्ताओं को बताया था, ‘हिजबुल मुजाहिदीन ने जमात को समर्थन दिया था, लेकिन हमें विनम्रता से मदद देने से इनकार कर दिया गया। अरब देश कश्मीर के मकसद के लिए पैसे नहीं देना चाहते थे।’ हालांकि, अजहर को दूसरे दौरे में अबू धाबी में पाकिस्तानी करेंसी में 3 लाख रुपये, शारजाह में 3 लाख जबकि सऊदी अरब में 2 लाख रुपये मिले। अजहर 1994 में एक फर्जी पुर्तगाली पासपोर्ट पर दिल्ली आया। यहां वह पॉश चाणक्यपुरी इलाके में अशोका होटल में भी ठहरा।