सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से यह तय करने के लिए कहा कि जिनीवा में एचएसबीसी बैंक में खाता रखने वाले 627 भारतीयों के संदिग्ध कालेधन के मामले की जांच अगले साल मार्च तक पूरी कर ली जाए। अदालत ने कहा कि अगर किसी वजह से जांच पूरी नहीं होती है तो केंद्र सरकार 31 मार्च 2015 की समयसीमा बढ़ाने के बारे में उचित फैसला लेगा।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाले खंडपीठ ने कालेधन के मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के नियुक्त विशेष जांच दल से कहा कि उसे प्राप्त चुनिंदा सूचनाएं और पत्राचार को स्याह किए बगैर ही याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराने पर विचार करे। इस मामले में याचिका दायर करने वालों में शामिल प्रमुख कानूनविद राम जेठमलानी ने कहा कि यूपीए सरकार के तत्कालीन सालिसीटर जनरल मोहन पराशरन ने कुछ अंशों को स्याह करने के बाद कुछ पत्र और दस्तावेज मुहैया कराए थे।
अदालत ने जेठमलानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया कि न्यायमूर्ति एमबी शाह की अध्यक्षता वाली एसआइटी को कालेधन मामले में अपनी जांच की प्रतियां मुहैया कराने के अनुरोध पर विचार करना चाहिए। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे एसआइटी की रिपोर्ट की प्रतियों की आपूर्ति के लिए ‘न’ नहीं कहेंगे। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि संदिग्ध कालेधन के मामले में कर विभाग की जांच में समयसीमा बीतने का मसला नहीं उठेगा। रोहतगी ने कहा-हम इसके प्रति जागरूक हैं और इसमें कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि अब कर चोरी के मामले में अपराध होने के समय से 16 साल तक कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि उसे विश्वास है कि आयकर विभाग के समक्ष लंबित कार्यवाही 31 मार्च 2015 तक पूरी कर ली जाएगी और अगर किसी वजह से ऐसा नहीं हुआ तो हमें भरोसा है कि उचित फैसला किया जाएगा।
रोहतगी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने दस्तावेज मुहैया कराते समय उनके कुछ हिस्सों को स्याह क्यों कर दिया था। दस्तावेजों के कुछ अंशों को स्याह किए जाने संबंधी मुद्दे पर विचार के दौरान ही अदालत ने कहा कि अधिकारियों के पद और तारीख का जिक्र है। अगर आप प्रयास करें तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई अगले साल 20 जनवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा कि जेठमलानी अपनी तमाम शिकायतों के बारे में एसआइटी के समक्ष प्रतिवेदन कर सकते हैं जो उन पर विचार करेगी। मामले की सुनवाई के अंतिम क्षणों में वकील प्रशांत भूषण ने उन 250 व्यक्तियों के नाम सार्वजनिक करने का मुद्दा उठाया जिन्होंने विदेशी बैंकों में खाता रखना स्वीकार किया है। लेकिन उन्हें कर संबंधी कार्रवाई के बाद छोड़ दिया गया। लेकिन अटार्नी जनरल ने कहा कि उनकी हस्तक्षेप की अर्जी स्वीकार नहीं की गई है। इस पर अदालत ने कहा कि उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया जा सकता।
जेठमलानी ने कहा कि त्रासदी यह है कि एक व्यक्ति देश के लिए कालाधन वापस लाने का प्रयास कर रहा है। मैं विपक्ष में बैठा हूं। यही देश की त्रासदी है। रोहतगी ने कहा कि ऐसे मसले उठाने के लिए अदालत उचित जगह नहीं है। केंद्र सरकार ने 29 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट को 627 भारतीयों की सूची सौंपी थी जिनके जिनीवा स्थित एचएसबीसी बैंक में खाते थे और जिनके मामलों में संदिग्ध कालेधन की कर संबंधी जांच अगले साल मार्च तक पूरी करनी है।
अटार्नी जनरल ने फ्रेंच अधिकारियों के साथ हुए पत्राचार से संबंधित दस्तावेज, खाताधारकों के नाम और कालेधन के मामले में अब तक की जांच की प्रगति रिपोर्ट अलग-अलग सीलबंद लिफाफों में अदालत को सौंपी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खोला नहीं था। अदालत ने कहा था कि इन लिफाफों को विशेष जांच दल के अध्यक्ष एमबी शाह और उपाध्यक्ष अरिजित पसायत खोलेंगे और भावी कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे।