सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने बुधवार (14 नवंबर, 2018) को कहा कि वह शनिवार को 10 से 50 आयु वर्ग की छह अन्य महिलाओं के साथ सबरीमला मंदिर जाएंगी। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के सभी आयु वर्ग की महिलाओं को पूजा की अनुमति देने के निर्णय के खिलाफ सबरीमला में श्रद्धालुओं का जबर्दस्त विरोध देखने को मिला है।
बता दें कि भगवान अयप्पा मंदिर मडाला-मक्करविलक्कू पूजा के लिए शनिवार को दो महीने के लिए खुलेगा। शनिधाम शिंगणापुर मंदिर, हाजी अली दरगाह, महालक्ष्मी मंदिर और त्रयंब्केश्वर शिव मंदिर सहित कई धार्मिक जगहों पर महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिलाने के अभियान की अगुवाई करने वाली तृप्ति ने मंदिर जाने के दौरान अपने जीवन पर हमले के डर के कारण मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को एक ईमेल में सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
तृप्ति ने कहा है, ‘‘हम सबरीमला मंदिर में दर्शन के बिना महाराष्ट्र नहीं लौटेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें सरकार पर विश्वास है कि वह हमें सुरक्षा मुहैया कराएगी।’’ उन्होंने कहा कि हमें सुरक्षा मुहैया कराने और मंदिर ले जाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और पुलिस की है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में पूजा की अनुमति दे दी है। मुख्यमंत्री के कार्यालय ने बताया कि उन्हें ई-मेल मिला है और यह संबंधित अधिकारियों को भेजा जाएगा।
तृप्ति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी एक मेल भेजा है जिसमें उनसे मंदिर यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। इस बीच मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठनों में शामिल ‘अयप्पा धर्म सेना’ के अध्यक्ष राहुल ईस्वर ने कहा कि अयप्पा के श्रद्धालु तृप्ति और उसके समूह के पवित्र मंदिर में प्रवेश और पूजा के किसी भी प्रयास का ‘गांधीवादी तरीके’ से विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम जमीन पर लेट जाएंगे। हम विरोध करेंगे और किसी भी कीमत पर उन्हें मंदिर में पूजा करने से रोकेंगे।’’