केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल में सबसे ताकतवर मंत्रियों में से एक हैं। साथ ही सबसे ज्यादा विवाद भी उनके साथ ही जुड़े हुए हैं। वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख के अनुसार स्मृति ईरानी अपनी हाजिरजवाबी के चलते सुर्खियों में रहती हैं लेकिन शैक्षणिक योग्यता और शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों के चलते आलोचनाएं भी झेलती हैं। स्मृति मोदी की सबसे पसंदीदा मंत्रियों में से एक हैं। वह देश के युवाओं को नौकरियों के तैयार करने में भी नाकाम रही हैं। वह देश की नई शिक्षा नीति पर काम कर रही हैं और ऐसा 30 साल में पहली बार हो रहा है।
अमेरिकन अखबार के इस लेख में स्मृति ईरानी से जुड़े विवादों का जिक्र भी किया गया है। इसके अनुसार इतिहासकार रामचंद्र गुहा कहते हैं, ”वह शिक्षा मंत्री के रूप में बुरी तरह से फेल रही है। वह अक्खड़ और अज्ञान का मिश्रण है। उन्होंने पहले से कमजोर हमारे विश्वविद्यालयों को नजरअंदाज किया। वह सरकार की एंटी इंटेलेक्चुअल थीम पर काम करते हुए विद्वानों और वैज्ञानिकों का अपमान कर रही हैं।” मोदी सरकार के मंत्रियों में स्मृति ईरानी का सबसे मजाक बनाया जाता है। विपक्ष उन्हें ‘ड्रामा क्वीन’ और ‘आंटी नेशनल’ बुलाता है। पिछले दिनों की गवर्नर की गलत स्पैलिंग लिखने और बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से ‘डियर’ के मुद्दे पर भिड़ने के बाद स्मृति की काफी खिंचाई की गर्इ थी।
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स्मृति ईरानी का जन्म नई दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। स्कूली पढ़ाई के बाद वह टीवी और फिल्मों में कॅरियर बनाने के लिए मुंबई चली गईं। ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सीरियल के जरिए स्मृति घर-घर में लोकप्रिय हो गईं। साल 2003 में वह भाजपा में शामिल हो गईं। बाद में वह पार्टी प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद चुनी गईं। टीवी इंडस्ट्री में काम करने के चलते भी उन पर विपक्ष हमला करता रहा है। एक बार टीवी पर बहस के दौरान एक कांग्रेसी नेता ने उन्हें ‘नाचने-गाने वाली’ कह दिया था। इस पर काफी हंगामा हुआ था। स्मृति के पति एक कारोबारी हैं और उनके दो बच्चे हैं।
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स्मृति ईरानी ने 2014 में हुए आम चुनावों में अमेठी से राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के समय नरेंद्र मोदी ने स्मृति को अपनी बहन बताते हुए वोट मांगे थे। बावजूद इसके राहुल गांधी चुनाव जीतने में सफल रहे थे। हालांकि जीत का अंतर केवल एक लाख वोटों का था। बाद में जब उनकी शिक्षा पर सवाल उठाए गए तो स्मृति ने खुद को येल यूनिवर्सिटी से पासआउट बताया। इस मामले में कोर्ट में मामला चल रहा है। दो-तीन विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स को हटाने, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र की आत्महत्या और जेएनयू मामले के चलते स्मृति ईरानी निशाने पर रहीं। हालांकि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा समर्थन है।
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