विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने बुधवार को कहा कि भारत वैश्विक सुस्ती के दौर में कई ऐसे कदम उठा रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं। बंगा ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि भारत महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है, लेकिन उसे यह रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत है।
बंगा ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर कायम सुस्ती के बीच काफी कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं। भारत के पक्ष में एक खास बात यह है कि इसके जीडीपी में बड़ा हिस्सा घरेलू स्तर का है। भारत महामारी के दौर की चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है लेकिन उसे यह रफ्तार बनाए रखने की जरूरत है। बंगा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर सुस्ती होने के बावजूद अपने घरेलू खपत की वजह से सुरक्षित है। उच्च आय वाली नौकरियों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर बंगा ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि ये नौकरियां कहां पर हैं। ये नौकरियां प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं और बहुत कम संख्या में हैं। फिर विनिर्माण क्षेत्र में ऐसी नौकरियां हैं।
भारत के सामने फिलहाल यह मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का फायदा उठाए। चीन प्लस वन रणनीति का मतलब है कि दुनिया के विकसित देशों की कंपनियां अब अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं। इसके लिए भारत भी संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है। बंगा ने कहा कि भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि ‘चीन प्लस वन’ रणनीति से मिलने वाला अवसर उसके लिए 10 वर्षों तक नहीं खुला रहेगा।
यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है। कोविड-19 महामारी के दौरान चीन में विनिर्माण गतिविधियां पूरी तरह ठप होने से आपूर्ति शृंखला पर बहुत बुरा असर पड़ा था।
उसी समय से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विनिर्माण गतिविधियों के लिए चीन के विकल्प की तलाश शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ जी20 सम्मेलन और विश्व बैंक एवं भारत के बीच सहयोग जैसे कई मुद्दों पर भी उनकी चर्चा हुई है। पिछले महीने की शुरुआत में विश्व बैंक की कमान संभालने वाले 63 वर्षीय बंगा इस समय भारत के दौरे पर आए हैं। यह विश्व बैंक अध्यक्ष के तौर पर उनकी पहली भारत यात्रा है।
‘अगली महामारी के लिए तैयार रहने की जरूरत’
बंगा ने कहा कि महामारी के दौरान विद्यालय जाने वाली पीढ़ी को लेकर हमारे पास वास्तविक चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि जब हम कोविड-19 महामारी की चपेट में आए तो विकसित और विकासशील देश इससे निपटना सीख रहे थे। इस अवधि में लंबे समय तक विद्यालय बंद रहने के कारण पढ़ाई-लिखाई का बहुत अधिक नुकसान हुआ और इस नुकसान से निपटना सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, बल्कि यह दुनियाभर के लिए एक मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि मेरा मत है कि हमें अब सबक लेना चाहिए। बहुत हद तक यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अगली महामारी से पहले ही एक प्रणाली तैयार करना सीख लें अन्यथा हम वही भूलें दोबारा करेंगे। यह तो तय है कि अगली महामारी आएगी जरूर। सवाल यह है कि इसके आने से पहले हम कितना सीखते हैं? मेरे लिए यह एक बड़ा सवाल है। विश्व बैंक ने इससे पहले कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण भारत में विद्यालयों के लंबे समय तक बंद रहने से पढ़ाई में नुकसान के अलावा देश की भावी कमाई में 400 अरब अमेरिकी डालर का नुकसान हो सकता है।
भारतीय-अमेरिकी बंगा (63) ने पिछले महीने विश्व बैंक के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। बंगा दो वैश्विक वित्तीय संस्थानों (विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) में से किसी एक का प्रमुख बनने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति हैं। वह यह पद संभालने के बाद पहली बार भारत यात्रा पर हैं। वह जी-20 वित्त मंत्रियों और सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अहमदाबाद में होने वाली बैठक में शामिल होंगे। बुधवार की सुबह उन्होंने द्वारका स्थित कौशल विकास केंद्र का दौरा किया और विद्यार्थियों से बातचीत की।