छह मुस्लिम संगठनों ने केन्‍द्र सरकार पर मुस्लिम युवकों को योजनाबद्ध तरीके से आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट से जोड़कर गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है। हालांकि इन संगठनों ने इस्‍लामिक स्‍टेट की निंदा करते हुए इसे गैरइस्‍लामी और आतंकी संगठन करार दिया। जमात ए इस्‍लामी हिंद, जमियत उलेमा ए हिंद, अहले हदीस, अॉल इंडिया मजलिस ए मशवरात, मिली काउंसिल और वेलफेयर पार्टी ने एक साथ मिलकर आरोप लगाया कि पढ़े लिखे मुस्लिम युवकों को आईएस से जोड़कर गिरफ्तार करने आैर निशाना बनाने की साजिश रची जा रही है। इन संगठनों की ओर से जारी बयान में कहा गया कि,’ एक तरफ मासूम मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी और दूसरी ओर हिंदू आतंक से जुड़े मामलों के आरोपियों को रिहा कर सरकार साम्‍प्रदायिक एजेंडा लागू कर रही है। सरकार का ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा धोखा साबित हो रहा है।’

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और वेलफेयर पार्टी के एसक्‍यूआरटी इलियास ने कहा कि, ‘ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल मार्च में काउंटर टेरर कांफ्रेंस में कहा था कि भारत में आईएस की मौजूदगी नहीं है। इसके बाद अचानक से एक साल में इतने पढ़े लिखे युवा मुस्लिम संदिग्‍ध कैसे हो गए।’ इन संगठनों ने दावा किया कि, 2014 में असामाजिक गतिविधि एक्‍ट के तहत गिरफ्तार 141 युवकों में से केवल 18 के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई। बाकी के 123 निर्दोष साबित हुए। इनमें से भी अधिकांश को ऊपरी अदालतों ने रिहा किया। मुस्लिम युवकों को अंधाधुंध तरीके से आतंकी या आईएस समर्थक बताकर पकड़ा गया।

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दिल्‍ली के मौलवी अब्‍दुस सामी कासमी का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्‍हें संदेह के आधार पर पकड़ा गया। लेकिन अभी तक उनके खिलाफ आईएस से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला। इन संगठनों ने केन्‍द्र सरकार के सामने सात मांगें रखी हैं। पहली मांग 26/11 मुंबई हमलों में शहीद हुए एटीएस चीफ हेमंत करकरे द्वारा उजागर किए गए हिंदू आतंकी नेटवर्कऔर स्‍वामी असीमानंद के खुलासों को सार्वजनिक करने की है। दूसरी मांग है कि मुस्लिम समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और सिविल सोसायटी के सदस्‍यों को ऐसे मामलों की देखरेख का जिम्‍मा दिया जाए।

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जमात ए इस्‍लामी के सलीम इंजीनियर ने कहा कि, ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिसमें दो तरह के लोगों के लिए अलग अलग कानून है। मालेगांव और समझौता एक्‍सप्रेस ब्‍लास्‍ट केस में एनआईए मकोका और अन्‍य मामलों की कड़ी धाराओं को हटाने का प्रयास कर रही है। वहीं अन्‍य मामलों में केवल संदेह के आधार पवर लोगों को पकड़ा जा रहा है।’ जमियत के अब्‍दुल नोमानी ने आरोप लगाया कि, ‘ धीरे-धीरे योजनाबद्ध तरीके से युवकों को गिरफ्तार कर मुस्लिमों को मानसिक और आर्थिक रूप से कमजाेर किया जा रहा है।’