माकपा नेता सीताराम येचुरी ने पार्टी का नया महासचिव चुने जाने के बाद रविवार को यहां कहा कि भविष्य में माकपा और भाकपा का विलय जरूर होगा लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा नहीं है।

येचुरी को यहां संपन्न हुई पार्टी की 21वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में पार्टी के शीर्ष पद पर निर्विरोध चुन लिया गया। येचुरी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि विलय अवश्यंभावी है। लेकिन पहला मुद्दा हमारी पार्टी को मजबूत करना है, जिसके आधार पर वामपंथी ताकतों की एकता के लिए काम किया जाएगा। उसी के आधार पर वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ लाने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विलय के लिए कोई समय सीमा नहीं है। लेकिन हम जल्द से जल्द विलय के प्रयास कर रहे हैं। इसमें दो से छह महीने लग सकते हैं। लेकिन यह निश्चित रूप से होगा और यह हमारा संकल्प और वादा है।

नए माकपा महासचिव ने अपने समक्ष मौजूद चुनौतियों के सवाल पर कहा कि चुनौतियां पार्टी को मजबूत करने की हैं, वामपंथी ताकतों की एकता को बनाने की हैं और वामपंथी व लोकतांत्रिक ताकतों को एक जगह लाने की हैं। उन्होंने कहा- हमारी प्राथमिकता होगी कि उन आर्थिक नीतियों के खिलाफ हमारे संघर्ष के आधार पर कैसे आगे बढ़ें जिनके थोपने से हमारे लोगों पर अधिक बोझ पड़ता है और उस सांप्रदायिक विचारधारा के खिलाफ संघर्ष के आधार पर कैसे आगे बढ़ें जो हमारे देश और जनता को बांट रही है।

पार्टी ने रविवार को अपनी केंद्रीय समिति के 91 सदस्यों का भी चुनाव किया। पांच विशेष आमंत्रित सदस्य और इतने ही स्थाई आमंत्रित सदस्य भी निर्वाचित हुए। अगले तीन साल तक पार्टी का नेतृत्व करने के लिए 16 सदस्यीय पोलित ब्यूरो का भी चुनाव किया गया।

इससे पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि इस साल के आखिर में एक पूर्ण अधिवेशन आयोजित कर पार्टी की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और इसे मजबूत करने की रणनीतियां तैयार की जाएंगी। सांप्रदायिक एजंडा, नवउदारवादी नीतियों और लोकतांत्रिक स्तंभों को कमजोर करने के कदमों को मौजूदा सरकार की ‘त्रिमूर्ति’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी को इन तीन ताकतों से प्रभावी तरीके से निपटना होगा। ऐसा न हो कि यह ‘त्रिशूल’ बन जाए और राष्ट्र के दिल में घोंप दिया जाए।

येचुरी ने कहा कि हमारा काम वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों की एकता को मजबूत करना है। इस कांगे्रस का स्पष्ट निष्कर्ष यह है कि पूंजीवाद का संकट दुनिया में गहराता जा रहा है। समाजवाद के लिए संघर्ष को सशक्त बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अगर मानवीय सभ्यता का कोई भविष्य है तो समाजवाद में है। उन्होंने कहा कि पार्टी के सामने सबसे पहला काम नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और हिंदुत्ववादी ताकतों के सांप्रदायिक एजंडे के खिलाफ लड़ना है। महासचिव के पद के लिए येचुरी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान महासचिव प्रकाश करात ने रखा और वरिष्ठ पार्टी नेता एस रामचंद्रन पिल्लै ने इसका अनुमोदन किया।