चुनाव आयोग द्वारा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में खाली हुई लोकसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनावों का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार की सीटों पर चुनाव के लिए अभी तक किसी भी तरह की घोषणा नहीं की गई, जिसे लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। येचुरी ने चुनाव आयोग के इस कदम की आलोचना करते हुए ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा, ‘हमने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा देखा और अब उपचुनावों की घोषणा के कारण भी एक बार चुनाव आयोग के ऊपर सवाल खड़ा हो रहा है। हमारे लोकतंत्र के हित के लिए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर किसी भी तरह का साया नहीं मंडरा सकता।’
चुनाव आयोग ने राजस्थान की अलवर-अजमेर और बंगाल की उलुबेरिया लोकसभा सीटों के लिए उपचुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। तीनों सीटों पर 29 जनवरी के दिन चुनाव होंगे। वहीं उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट, जो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ खाली हुई थी और फूलपुर की सीट जो केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के साथ खाली हुई थी, उनके लिए चुनावों का ऐलान अभी तक नहीं हुआ है। इसके साथ ही बिहार की अररिया सीट आरजेडी नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद खाली हुई थी उसके लिए भी किसी भी तरह की घोषणा नहीं हुई है। ये सभी 6 लोकसभा सीटें लगभग एक ही समय पर खाली हुई थीं, लेकिन अभी तक केवल तीन पर ही उपचुनावों का ऐलान किया गया है। जिसकी वजह से चुनाव आयोग की काफी आलोचना की जा रही है।
We saw it in the Gujarat assembly polls, and more questions about the Election Commission now in conduct of by-polls. For the sake of our democracy, the EC's objectivity and impartiality can't be under a cloud. pic.twitter.com/8Wm3VNZgiz
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 1, 2018
Moreover, the BJP talks about simultaneous polls across India when it runs scared about simultaneous polls in HP and Gujarat. Or for Lok Sabha by-polls. No one expects any better from the BJP but the EC must abide by its constitutional mandate.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 1, 2018
बीजेपी के लिए गोरखपुर और फूलपुर सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं तो वहीं अररिया सीट भी काफी मायने रखती है, क्योंकि अब बीजेपी भी बिहार की सत्ता में जेडीयू के साथ है। हालांकि कहां कब चुनाव कराने हैं, यह सब कुछ चुनाव आयोग के हाथ में ही होता है, लेकिन फिर भी चुनाव आयोग के इस कदम को लेकर उसकी काफी आलोचना की जा रही है। इससे पहले गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी इलेक्शन कमीशन पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा था।