बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच चुनाव आयोग बंगाल में SIR करवाने की तैयारी शुरू कर चुका है। चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव और जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEOs) को आवश्यक नियुक्तियां करने सहित इस प्रक्रिया की तैयारियां तेज करने को कहा है। बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल ने 27 अगस्त को इस संबंध में सभी राज्य DEOs को एक पत्र भेजा है।
बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
सूत्रों के अनुसार मनोज अग्रवाल ने 26 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज पंत को एक अलग पत्र भेजा है। इसमें सरकार से निर्वाचक पंजीयन अधिकारियों (EROs) और सहायक ईआरओ (AEROs) के सभी रिक्त पदों को तुरंत भरने का अनुरोध किया गया है ताकि चुनाव आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण की घोषणा होने पर इसे पूरा कर सके। बंगाल में मार्च-अप्रैल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
29 अगस्त को सीईओ मनोज अग्रवाल प्रस्तावित मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया पर सभी दलों के साथ एक बैठक भी करेंगे। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “हमें नहीं पता कि इसे एसआईआर कहा जाएगा या नहीं, लेकिन पिछले चुनावों की तरह ही मतदाता सूची पुनरीक्षण किया जाएगा। इसलिए हम अगस्त में अपनी तैयारियां पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर हम सितंबर के पहले हफ़्ते से ही पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू कर सकें।”
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जिलाधिकारियों को लिखे सीईओ मनोज अग्रवाल ने लिखे पत्र
सभी जिलाधिकारियों (जो डीईओ भी हैं) को लिखे अपने पत्र में सीईओ मनोज अग्रवाल ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि एईआरओ/ईआरओ अपने किसी भी वैधानिक कर्तव्य और कार्य का निर्वहन किसी अन्य अधिकारी या व्यक्ति को नहीं सौंपेंगे और किसी भी परिस्थिति में अपनी ईआरओनेट लॉगिन आईडी और ओटीपी किसी भी डेटा एंट्री ऑपरेटर या किसी अन्य अधिकारी या व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करेंगे।”
पत्र में यह भी कहा गया है, “यह भी निर्देश दिया जाता है कि ईआरओ/एईआरओ अपने वैधानिक कर्तव्यों और कार्यों के निर्वहन में बीएलओ (ब्लॉक स्तरीय अधिकारी) द्वारा की जाने वाली क्षेत्र स्तरीय जांच से न तो बच सकते हैं और न ही उन्हें ऐसा करना चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे ईआरओ/एईआरओ द्वारा इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की चूक को अत्यंत गंभीरता से लिया जाएगा और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और लागू आचरण नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सकती है।”
सीईओ मनोज अग्रवाल के पत्र में चुनाव आयोग की शक्तियों का जिक्र करते हुए कहा गया है, “जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 (1) में कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जिसे मतदाता सूची की तैयारी, संशोधन या सुधार या उस सूची में किसी प्रविष्टि को शामिल करने या निकालने के संबंध में कोई आधिकारिक कर्तव्य निभाने के लिए सौंपा गया है, वह बिना उचित कारण के ऐसे आधिकारिक कर्तव्य के उल्लंघन में किसी भी कार्य या चूक का दोषी पाया जाता है, तो उसे कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।'”