आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे सतेंद्र जैन के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अच्छा खासा ड्रामा देखने को मिला। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी बहस के लिए तैयार थे कि तभी एक जस्टिस ने अचानक खुद को इस मामले से अलग कर लिया।

उसके बाद फैसला हुआ कि इस केस को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेजा जाए। वो एक ऐसी बेंच बनाएंगे जिसमें जस्टिस पीके मिश्रा ना हों। ईडी ने पिछले साल 30 मई को जैन को गिरफ्तार किया था। जैन पर उनसे जुड़ी चार कंपनी के जरिए मनी लांड्रिंग करने के आरोप हैं।

सतेंद्र जैन का केस आज सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया था। ये मामला जब जस्टिस एएस बोपन्ना की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष आया तो उन्होंने आप नेता की तरफ से पेश एडवोकेट अभिषेक सिंघवी से कहा कि बेंच मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती। जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि हम इस मामले पर इस बेंच के समक्ष सुनवाई करने में असमर्थ हैं। बेंच ने मामले को सीजेआई के सामने रखे जाने का निर्देश दिया ताकि नई बेंच बन सके।

सतेंद्र जैन की पैरवी के लिए 1 घंटे का वक्त मांग रहे थे सिंघवी

शुरुआत में सिंघवी ने अनुरोध किया कि उनको बहस के लिए कम से कम एक घंटा चाहिए। उन्होंने बेंच से मामले को किसी भी मंगलवार के लिए लिस्ट करने का अनुरोध किया। बेंच ने निर्देश दिया कि जैन की जमानत संबंधी अंतरिम आदेश की अवधि 12 सितंबर तक बढ़ाई जाए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी। 25 अगस्त को शीर्ष अदालत ने मनी लांड्रिंग के मामले में सतेंद्र जैन की अंतरिम जमानत एक सितंबर तक बढ़ा दी थी। हालांकि ईडी ने अंतरिम जमानत बढ़ाने का पुरजोर विरोध किया था। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू पैरवी कर रहे थे।

सीबीआई के केस में मिल चुकी है बेल, अब ईडी के केस में लगा रहे गुहार

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को सतेंद्र जैन को मेडिकल ग्राउंड पर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि किसी भी नागरिक को अपने खर्च पर निजी अस्पताल में अपनी पसंद का इलाज कराने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने 24 जुलाई को जैन की अंतरिम जमानत पांच सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी।

जैन को ईडी ने एंटी करप्शन एक्ट के तहत 2017 में सीबीआई की तरफ से FIR दर्ज होने के बाद गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने सीबीआई के मामले में उन्हें छह सितंबर 2019 को नियमित जमानत दी थी। अब वो ईडी के केस में बेल मांग रहे हैं।