आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में रोचक वाकया देखने को मिला। दरअसल जैन की नियमित रूप से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी आज नहीं आ सके। उनके जूनियर ने सुप्रीम कोर्ट से तारीख की मांग की। ईडी की तरफ से पेश एएसजी एसवी राजू ने उनकी मौजूदा अपील पर कोई विरोध नहीं किया। लेकिन उसके बाद उन्होंने जो कहा वो वकील को शर्मसार करने वाला था।
एएसजी ने कहा कि जैन निचली अदालत में सुनवाई में देर कराने के लिए कार्यवाहियों पर बार-बार रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। राजू ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CCP) की धारा 207 के तहत दस्तावेज हासिल करने के लिए निचली अदालत से लगभग 16 तारीख ली गई हैं। वो स्थगन ले रहे हैं और सुनवाई के साथ कार्यवाही आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। वो एक के बाद एक अर्जियां दायर कर कर रहे हैं।
वकील बताने लगे तारीख लेने की वजह तो जस्टिस ने चुप कराया
सत्येंद्र जैन के वकील ने दावे को झुठलाते हुए कहा कि निचली अदालत में सिर्फ तीन बार स्थगन का अनुरोध किया गया था। उन्होंने टॉप कोर्ट को तारीख लेने की वजह बताने की कोशिश की तो जस्टिस एएस बोपन्ना ने सत्येंद्र जैन के वकील से कहा कि वह शीर्ष न्यायालय में लंबित कार्यवाही का इस्तेमाल निचली अदालत में मामले की सुनवाई में देरी कराने के लिए ना करें। उन्हें सुनवाई में तत्परता से शामिल होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा- आपके लिए अच्छा रहेगा कि कहें कि फिर ऐसा नहीं होगा
आप नेता के वकील ने कहा कि वो निचली अदालत के समक्ष संजीदगी से पेश हो रहे हैं। बेंच ने इस पर कहा कि तो फिर आप क्यों चिंतित हैं। खुद को सही ठहराने की कोशिश ना करें। अब से केस में पेश हों। हम इस मामले में कोई जांच कराने नहीं जा रहे हैं। अगर आपने 16 बार तारीख नहीं ली है तो अच्छा है। लेकिन अगर आपने ऐसा किया है तो आगे से ना करें। आपके लिए अच्छा रहेगा कि कहें कि आगे से तारीख नहीं लेंगे। कोर्ट की सुनवाई को बगैर किसी अवरोध के चलने देंगे। हम भी ये चाहते हैं कि निचली कोर्ट अपनी सुनवाई के समय से पूरा करके फैसले सुनाए। बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल थीं। अदालत ने जैन की अंतरिम जमानत नौ अक्टूबर तक बढ़ाते हुए यह टिप्पणी की। गौरतलब है कि चिकित्सकीय आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को अंतरिम जमानत दी थी। वो फिलहाल अस्पताल में दाखिल बताए जा रहे हैं।