सूती कपड़े को गर्मियों के लायक मुफीद माना जाता है। ये कपड़े गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। अब वैज्ञानिकों ने सिल्क का ऐसा कपड़ा तैयार किया है जो सूती के कपड़े से ज्यादा ठंडक का अहसास कराएगा। सिल्क का यह कपड़ा सूती की तुलना में 12.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान घटा देता है। इसलिए यह कपड़ा गर्मी से राहत पहुंचाएगा।

इस कपड़े को चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शान्हुई फैन ने मिलकर तैयार किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, इस कपड़े को इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि गर्मियों के मौसम में बाहर जाने पर शरीर को ठंडा रख सके।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस कपड़े का इस्तेमाल बढ़ने के बाद दुनिया में बिजली की खपत भी कम होगी। एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 15 फीसद बिजली का इस्तेमाल इंसान खुद को ठंडा रखने के लिए करता है। नए कपड़े की मदद से बिजली की मांग को कुछ हद तक कम किया जा सकेगा। यह यह कपड़ा बिना बिजली के शरीर को ठंडा रखने में मदद करेगा।

शोधकर्ताओं का कहना है, आमतौर पर सिल्क सूर्य की किरणों को परावर्तित करता है। इस खूबी को ध्यान में रखते हुए सिल्क में बदलाव करके ऐसा कपड़ा बनाया जो सूर्य की किरणों को 95 फीसद तक परावर्तित (रेफ्लेक्ट) कर सके। शोध के मुताबिक, कपड़ा जितना ज्यादा सूर्य की किरणों को परावर्तित करेगा और कम से कम इसे अवशोषित करेगा यह शरीर को उतना धूप के असर से बचाएगा व ठंडा रखेगा।

जब धूप में इस कपड़े का परीक्षण किया गया तो पाया गया कि यह आसपास मौजूद हवा से भी 3.5 फीसद तक ठंडा है। शोधकर्ताओं का कहना है, यह दुनिया का पहला ऐसा कपड़ा है जो हवा से भी ठंडा है। इस कपड़े में एल्यूमिनियम आक्साइड के नैनोपार्टिकल्स मिलाए गए हैं। इसलिए ये इंफ्रारेड, विजिबल और अल्ट्रावायलेट किरणों को परावर्तित करके शरीर से दूर रखता है।

इस खास तरह के सिल्क को ऐसे समझा जा सकता है। अगर आप 40 डिग्री सेल्सियस वाली धूप में यह सिल्क पहनकर खड़े हैं तो यह आपको 32 डिग्री सेल्सियस तापमान महसूस कराएगा। वहीं, काटन की तुलना में यह 12.5 डिग्री सेल्सियस कम तापमान महसूस कराता है। परीक्षण में यह साबित भी हुआ है।

दूसरी ओर, कपड़े को लेकर एक शोध भारत में भी हुआ है। आइआइटी दिल्ली ने ऐसा कपड़ा तैयार किया है, जो हानिकारक विषाणु को खुद खत्म कर देगा। इस कपड़े को कोरोना जैसे जानलेवा विषाणु को मारने के लिए तैयार किया है, जो छूने से ही एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलते हैं। कपड़े पर विषाणु मारने के सभी टेस्ट सफल हो चुके हैं। हालांकि, आखिरी परीक्षण के लिए कपड़े का नमूना प्रयोगशाला में भेजा जाएगा, जहां कोरोना के विषाणु से कपड़े के नमूने का परीक्षण किया जाएगा।

जानकारों के मुताबिक, यह कपड़ा अस्पताल में होने वाले संक्रमण से बचाएगा। बैक्टीरिया मारने वाले कपड़े का फार्मूला ईजाद करने वाली टीम में वैज्ञानिक प्रोफेसर सम्राट मुखोपाध्याय, आइआइटी-दिल्ली के पूर्व बीटेक छात्र यति गुप्ता एवं दिल्ली एम्स के कुछ डाक्टर भी शामिल हैं। परीक्षण में पाया गया कि यह कपड़ा 99.99 फीसद विषाणु को मार देता है।

इसकी खूबी यह है कि 30 बार धोने पर भी काम करता रहता है। कपड़े पर कोटिंग पैडिंग मैंगल इंस्ट्रूमेंट से केमिकल की कोटिंग की गई है। इस प्रक्रिया में दो रोलर से कपड़ा जाता है। फिर केमिकल में डुबाया जाता है। इसके बाद यह कपड़ा फिर दो रोलर से गुजरता है। यहां कपड़े पर जरूरत से ज्यादा लगा कैमिकल प्रेशर से निकाल दिया जाता है।