Karnataka Election Results 2023 : कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत के बाद अब चर्चा मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार का नाम इस सीएम पद के लिए चर्चा में बना हुआ है। सवाल यह है कि क्या प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने के बाद अब कांग्रेस इस चुनौती से आसानी से निपट पाएगी?

इंडियन एक्सप्रेस की खबर मुताबिक कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के सहयोगी का कहना है कि सिद्धारमैया को शुरुआती दो साल के लिए सीएम बनाया जा सकता है जबकि इसके बाद का कार्यकाल डी के शिवकुमार संभालेंगे। उन्होने कहा, “कांग्रेस को इस जीत के आधार पर 2024 के लोकसभा चुनावों की भी योजना बनानी है इसलिए किसी भी नेता को अलग-थलग करना ठीक नहीं होगा”।

डी के शिवकुमार का क्या हो सकता है प्लान?

डी के शिवकुमार से पुराने मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन का श्रेय लेने की उम्मीद की जा सकती है। इस इलाके में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 30 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है। एक खास बात डी के शिकुमार के वोक्कालिगा समुदाय से आने से भी जुड़ी है। यह जाति मुख्य रूप से दक्षिण कर्नाटक में केंद्रित है और राज्य की आबादी का लगभग 15% है।

पूर्व प्रधान मंत्री एच डी देवेगौड़ा और उनके बेटे जेडी (एस) के एच डी कुमारस्वामी का इस जाति में एक वफादार वोट आधार रहा है। अब चर्चा है कि इस ही जाति का एक और मुख्यमंत्री यानी डी के शिवकुमार बन सकते हैं। जब डी के शिवकुमार ने वोक्कालिगा कार्ड खेलने के तुरंत बाद कुमारस्वामी ने पलटवार किया कि कांग्रेस में रहते हुए उनके लिए मुख्यमंत्री बनना असंभव था।

राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे क्यों हैं चर्चा में

चुनाव अभियान के दौरान डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ने बार-बार जोर देकर कहा कि सीएम कौन होगा इसका फैसला चुनाव के बाद ही होगा, और यह कि पार्टी नेतृत्व और निर्वाचित विधायक यह तय करेंगे।

कर्नाटक में एक दलित को मुख्यमंत्री बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है और जबकि सार्वजनिक मंचों पर राजनीतिक दलों द्वारा इस पर बहस की गई है लेकिन यह कभी भी सफल नहीं हुआ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर भी चर्चा जारी है कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं और वह दलित भी हैं।

डी के शिवकुमार के नाम पर कांग्रेस के लिए एक बड़ी चिंता उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले हैं, जिसमें 8 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी का चार्जशीट और आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई जांच शामिल है। 2017 में शिवकुमार और उनके सहयोगियों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक की आयकर चोरी का आरोप लगाया गया था, जबकि शिवकुमार पर खुद 34 करोड़ रुपये की चोरी का आरोप लगाया गया था।