सियाचिन में हिमस्‍खलन में मारे गए 10 जवानों की तलाश में जुटी रेस्‍क्‍यू टीमों ने एक जवान का शव बरामद किया है। पिछले सप्‍ताह अाए हिमस्‍खलन में एक जूनियर कमीशन ऑफिसर समेत 10 जवान बर्फ में दब गए थे। इसके बाद से रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन शुरू किया गया था लेकिन खराब मौसम के चलते दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। सेना ने शुक्रवार को शहीद जवानों के नाम जारी किए थे। सभी जवान मद्रास रेजीमेंट के थे।

 

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता कर्नल एसडी गोस्‍वामी ने बताया कि, ‘रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के छठे दिन टीमें कैंप की जगह पर पहुंची। यहां से एक शव बरामद किया गया। उस जगह पर नया कैंप लगाया गया है। रेस्‍क्‍यू टीमें जवानों के शव बरामद करने के लिए 30 फीट तक बर्फ हटा रही हैं। बर्फीले तूफान, अत्‍यधिक ठंड और दृश्‍यता में कमी के चलते रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में भारी दिक्‍कतें आ रही हैं। सभी जवानों के शव बरामद होने तक यह ऑपरेशन चलाया जाएगा।’

थलसेनाध्‍यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए अतिरिक्‍त संसाधनों के उपयोग का आदेश दिया था। सेना के अनुसार रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन 20 हजार फीट की ऊंचाई पर चल रहा है। यहां का तापमान रात के समय माइनस 60 डिग्री के पास चला जाता है। वहीं दिन में तापमान माइनस 40 डिग्री के करीब रहता है। सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धस्‍थल है। 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के बाद से से भारत ने यहां पर अपने जवान तैनात कर रखे हैं।

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सियाचिन बैटल स्कूल में पांच हफ्ते की विशेष ट्रेनिंग के बाद सियाचिन की चौकियों पर तैनाती के लिए उन्हें हेलिकॉप्टर से सफर करना पड़ता है। इन चौकियों पर रसद और गोला-बारूद की अपूर्ति भी हेलीकॉप्टर से ही की जाती है। कोई सैनिक बीमार पड़ जाए तो उसे बेस कैंप के अस्पताल में पहुंचाने के लिए भी हेलिकॉप्टर का ही इस्तेमाल किया जाता है।

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