बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट यूनियन फेडरेशन के खिलाफ याचिका लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचे थे। लेकिन अदालत ने उसे ये कहकर खारिज कर दिया कि वो बेकार की कसरत करके खुद को न थकाए। हालांकि कोर्ट ने पहले याचिका खारिज कर दी थी पर जब शुभेंदु के वकील ने दरख्वास्त की कि याचिका को खारिज न करें उसे वापस लेने का मौका दे दें। हाईकोर्ट ने उनकी दलील को मान लिया।

चीफ जस्टिस टीएस शिवगंगानम और जस्टिस हिरनमय भट्टाचार्य की बेंच ने कहा कि अखबारों की कटिंग के आधार पर दायर की गई याचिका को हम स्वीकार नहीं कर सकते। बेंच का कहना था कि जब तक कोई ठोस दलील नहीं होगी कोर्ट याचिका पर सुनवाई शुरू नहीं करा सकती।

शुभेंदु के वकील की दलील थी कि एक प्रतिबंधित संगठन रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट यूनियन फेडरेशन जाधवपुर विवि में हरकत कर रहा है। इसे आंख मूंदकर नहीं देखा जा सकता। अदालत को इस पर दखल देना चाहिए। उनकी दलील थी कि जाधवपुर में बवाल के पीछे ये ही संगठन है। जाधवपपुर में हाल ही मेें पहले साल के एक स्टूडेंट ने खुदकुशी कर ली थी। आरोप है कि सीनियर्स की रैगिंग से तंग आकर उसने जान दे दी।

एक और याचिका जाधवपुर पर आई तो बिफरे चीफ जस्टिस

उधर जाधवपुर मामले में एक एक्टिविस्ट ने एक और याचिका दायर की थी। चीफ जस्टिस की बेंच का कहना था कि वो हर मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर सकते। अखबार में कोई खबर छपती है और दो बजे जनहित याचिका लेकर कोई न कोई आ जाता है। ऐसे सुनवाई कैसे की जा सकती है। अदालत का कहना था कि बगैर तथ्यों के वो किसी भी याचिका को सुनवाई के लिए रजिस्ट्री के पास नहीं भेज सकते।

शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। पहले वो ममता बनर्जी के खासमखास थे। लेकिन फिर वो बीजेपी के पाले में आ गए थे। नंदीग्राम से उन्होंने ममता बनर्जी को चुनार में शिकस्त दे दी थी। फिलहाल तृणमूल सरकार के साथ उनका 36 का आंकड़ा है।