अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए गठित ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ की पहली बैठक की तैयारियां चल रही हैं। दिल्ली में 19 फरवरी की बैठक में मंदिर के शिलान्यास की तिथि तय की जा सकती है। यह तिथि नव संवत्सर (25 मार्च), राम नवमी (दो अप्रैल), हनुमान जयंती (आठ अप्रैल) या अक्षय तृतीया (26 अप्रैल) में से कोई एक हो सकती है। बैठक में ट्रस्ट के अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष का चुनाव किए जाने की योजना है। खींचतान इस दूसरे एजंडे को लेकर दिख रही है। सरकार ने ट्रस्ट के सदस्यों के 15 नाम घोषित किए हैं, लेकिन अयोध्या के मंदिर आंदोलन में भागीदार रहे संत समाज के एक वर्ग और विश्व हिंदू परिषद में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से नाराजगी दिख रही है। ट्रस्ट में तीन और लोगों को लिए जाने की गुंजाइश है और इन जगहों की दावेदारी में घमासान मचा है। शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर चुके हैं। नवगठित ट्रस्ट नौ सदस्यों को यह अधिकार दिए गए हैं कि वे किन्हींं दो लोगों का चयन कर सकते हैं। एक सदस्य के रूप में श्रीराम मंदिर न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को ट्रस्ट में शामिल किए जाने के आसार हैं।
फैसले की कितनी आजादी
केंद्र सरकार ने पांच फरवरी को ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बाबत लोकसभा में ऐलान करते हुए कहा कि यह ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की तीर्थस्थली पर भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा। ट्रस्टियों में अयोध्या केस में लंबे समय से हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले के परासरण, अयोध्या राज परिवार के बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, होम्योपैथ डॉ. अनिल कुमार मिश्र, 1989 के राम मंदिर आंदोलन में पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज समेत 15 लोग समूचे मामले से किसी न किसी रूप में सक्रिय रहे। लेकिन जिस तरह से संत समाज और पूर्ववर्ती राम जन्मभूमि न्यास या विश्व हिंदू परिषद ने दबाव बनाना शुरू किया है, उसे लेकर नवगठित ट्रस्ट के सामने संतुलन बनाए रखने की चुनौती है।
शंकराचार्य नाराज
दशकों पुराने मंदिर आंदोलन में शामिल शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने खुद को शामिल नहीं किए जाने को लेकर आपत्ति जताई है, जिससे विवाद शुरू हो गया है। स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इसमें संशोधन नहीं किया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने यहां वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्ट में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्वरूपानंद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में मान्यता दी थी।
संतों ने उठाई मांग
वृंदावन में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और वृंदावन कुंभ को लेकर वैष्णव अखाड़ा परिषद और चतु: संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद की संयुक्त बैठक में महामंडलेश्वर, महंत, साधु, संत, ब्राह्मण और भागवत विलानों ने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट में महंत नृत्यगोपाल दास के साथ अयोध्या के तीनों अनी अखाड़े के महंतों को भी स्थान मिलना चाहिए। महामंडलेश्वर गोपीकृष्ण दास महाराज के मुताबिक, राम जन्मभूमि आंदोलन में भी बड़ी भूमिका अखाड़े वैष्णव संतों की रही है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। पीपालाराचार्य बाबा महामंडलेश्वर बलराम शरणदेवाचार्य एवं चतु संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद अध्यक्ष महंत जयराम दास ने कहा कि रामानंद संप्रदाय, निमबार्क संप्रदाय, माधवाचार्य संप्रदाय, विष्णु स्वामी संप्रदाय के मठाधीश महंतों को ट्रस्ट में स्थान मिलना चाहिए।
तराशे गए पत्थरों पर सवाल
राममंदिर ट्रस्ट में फिलहाल जिन सदस्यों को जगह दी गई है, उनमें विहिप का एक भी सदस्य नहीं है। सवाल उठाया जाने लगा है कि अयोध्या में विहिप की कार्यशाला में राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों का भविष्य क्या होगा। तराशे गए पत्थरों की उपयोगिता क्या हो सकती है। यह तय है कि राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों की उपयोगिता अब नवगठित ट्रस्ट को ही तय करनी है। विहिप को अब भी उम्मीद है कि राममंदिर उनके प्रस्तावित मॉडल एवं तराशे गए पत्थरों से ही बनेगा। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नवगठित ट्रस्ट इन पत्थरों को दान में लेकर मंदिर निर्माण में उपयोग कर सकता है। राममंदिर के लिए अब तक एक लाख दस हजार घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है। दूसरी ओर, सरकार और रामजन्मभूमि न्यास के बीच इस बात पर लगभग सहमति बन गई है कि तराश कर रखे गए जयपुर के लाल पत्थरों और खंभों से ही रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण शुरू किया जाएगा। इस संबंध में रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास व उनके उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दो दौर की वार्ता हो चुकी है। इस वार्ता के आधार पर एक प्रस्ताव ट्रस्ट की पहली बैठक में रखा जाएगा।