जमकर किरकिरी

हाल ही में दिल्ली भाजपा के बड़े नेता ने इस बार मोर्चा संभाला, लेकिन विपक्षी दलों के पेंच में ही फंस गए। इस पेंच को लेकर आजकल पार्टी में ही बवाल मचा है। चर्चा इस बात को लेकर है कि पार्टी उपाध्यक्ष, महामंत्री और प्रवक्ताओं की फौज के बाद भी अध्यक्ष को मोर्चा संभालने के लिए उतरना पड़ रहा है। वहां भी पार्टी फंस रही है।

प्रदर्शन पर सवाल

दिल्ली में किसान आंदोलन सबके लिए चर्चा का मुद्दा है। एक के बाद एक मामले में होने वाली बैठकें टल रही हंै। इस मसले को लेकर सवाल इस बात पर खड़ा किया गया कि क्या केवल आंदोलन में ही कोरोना होने की संभावना है। इन दिनों भाजपा एक के बाद एक प्रदर्शन कर रही है। इस पर नेता खुद ही सवाल खड़ा कर रहे हैं कि इन प्रदर्शन में कौन सी वैक्सीन मिल रही है। कोरोना तो इससे भी फैल सकता है।

शौचालयों पर ताला

स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने की मुहिम में जुटे औद्योगिक महानगर नोएडा के शो-पीस बने शौचालय पलीता लगा रहे हैं। बाजारों में खुलने वाली दुकानों की तर्ज पर शौचालयों के खुलने और बंद होने का तय समय होने की वजह से लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद अपेक्षित परिणाम मिलने में संदेह बढ़ता जा रहा है। वहीं, प्राधिकरण से इतर पहले से बने विज्ञापन आधारित शौचालयों से कोरोना काल में कम आय होने के कारण साफ-सफाई की लचर व्यवस्था है। खुले में शौच मुक्त शहर के सपने को साकार करने के लिए शहर में दर्जनों शौचालय मुख्य मार्गों, बाजारों और व्यस्त जगहों पर बनाए गए हैं।

जिनके बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जागरूकता और स्वच्छता के प्रचार-प्रसार के चलते लोग इनका प्रयोग कर स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल बनाने मे योगदान देंगे, लेकिन इन शौचालयों पर शाम 7:30-8:00 बजे के बीच ताला लटक जाता है। आइटी, बीपीओ और मीडिया संस्थानों के केंद्र समेत देर रात तक चलने वाली फैक्टरियों के सैकड़ों कर्मचारियों के पास इन शौचालयों पर ताला लटका होने की वजह से ड्यूटी खत्म होने के बाद कोई विकल्प नहीं बचता। ऐसे में खुले में शौच मुक्त या स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने की मुहिम में शौचालयों पर लटके ताले बड़ी रुकावट साबित हो सकते हैं।
-बेदिल